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Maurya Dynasty of Magadha Empire : 321 ईसापूर्व में जब भारत पर मौर्य वंश की स्थापना हुई तो भारतीय इतिहास का एक नया दौर शुरू हुआ. मौर्य वंश का भारतीय इतिहास में इसलिए भी बहुत महत्व है, क्योंकि इसी काल से हमें राजवंशों के बारे में लिखित इतिहास मिलने शुरू हो गए हैं. साथ ही कई ऐतिहासिक साक्ष्य भी मिले हैं, मौर्य वंश से जुड़े थे. मौर्य वंश भारतीय इतिहास का वो कालखंड है, जिसमें भारत एक राष्ट्र का स्वरूप खुलकर सामने आया, उसके पहले यह राष्ट्र तो था, लेकिन वह जनपदों के निजी स्वार्थों के बीच बिखर गया था.
मौर्य साम्राज्य के नवीन कार्य
मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरु आचार्य चाणक्य के संरक्षण में कई नवीन कार्य अपने समय में किया और मौर्य वंश को समूचे उत्तर भारत के साथ दक्षिण तक लेकर गए. चाणक्य राजनीतिशास्त्र के ज्ञाता थे उन्होंने देश में एक मजबूत राजनीतिक सत्ता का गठन चंद्रगुप्त मौर्य से करवाया. मौर्य काल में शासन की सुविधा के लिए केंद्रीय शासन के अंतर्गत राज्य, जिले और गांव बनाएं गए, ताकि शासन सुचारू रूप से चल सके.गुप्तचरों का एक नेटवर्क तैयार किया गया, जो राजा जो जरूरी सूचनाएं उपलब्ध कराता था. इसके साथ ही सुव्यवस्थित कर प्रणाली भी विकसित की गई, जिसने राज्य को सुदृढ़ किया. सिक्कों का प्रचलन शुरू किया. मौर्य साम्राज्य में एक और विशेष व्यवस्था की गई थी, जिसकी खूब चर्चा हुई, वह थी गणिकाएं.
किसे कहते थे गणिका

कौटिल्य के अर्थशास्त्र के 27वें अध्याय में गणिकाओं की विशेष रूप से चर्चा की गई है. गणिकाएं वे महिलाएं होती थीं,जिन्हें परिवार और शादी के बंधनों में नहीं बांधा जाता था और वे इन सबसे अलग अपने नृत्य और संगीत से आम लोगों का मनोरंजन करती थीं. कई जगहों पर गणिकाओं को वेश्याओं के समकक्ष बता दिया जाता है, जबकि यह सच नहीं है. मौर्य काल में गणिकाएं सम्मानित स्त्रियां होती थीं और उनका राजदरबार और समाज में काफी महत्व था. गणिकाएं एक व्यवस्था के तहत काम करती थीं और वे राज्य की संपत्ति होती थी. उन्हें राज्य की तरफ से वेतन भी दिया जाता है. गणिकाओं के कार्यों का निर्धारण करने के लिए राज्य में एक गणिकाध्यक्ष होता था, जो गणिकाओं को उनकी जिम्मेदारी और कार्य समझाता था.
गणिकाओं को मिलता था वेतन
चाणक्य ने अपने अर्थशास्त्र में लिखा है कि गणिकाध्यक्ष सुंदर तथा गाने-बजाने की कला में निपुण स्त्रियों को चाहे वे किसी वेश्या के कुल में पैदा हुई हो, या ना पैदा हुई हो, उसे एक हजार पण देकर गणिका के कार्य पर नियुक्त करे. गणिका के परिजनों को भी पैसे दिए जाते थे और इसका नियम निर्धारित था. अगर कोई गणिका मर जाए या दूसरे स्थान पर चली जाए तो उसके कुल की किसी दूसरी स्त्री को गणिका नियुक्त किया जाता था, जो उसकी संपत्ति की मालिक होती थी और अपना कार्य करती थी, गणिका की मौत हो जाने पर उसकी कुल संपत्ति राजा के नाम यानी राज्य को मिल जाती थी.
गणिकाओं को होती थी कैटेगरी, जासूसी का काम भी करती थीं
चाणक्य ने अपने अर्थशास्त्र में यह भी बताया है कि गणिकाओं की तीन कैटेगरी होती थी. जो लड़की कम सुंदर और कला में कम निपुण होती थी उसे कनिष्ठ श्रेणी में एक हजार पण के साथ रखा जाता था. उससे बेहतर को मध्यम श्रेणी में रखा जाता था और दो हजार पण दिया जाता था, जबकि जो सबसे उत्तम होती थी उसे 3000 पण के साथ उत्तम कोटि में रखा जाता था. इनका मुख्य काम राजा का मनोरंजन होता था. इसके अतिरिक्त भी राज्य की ओर से जो सेवा का आदेश दिया जाता था उन्हें वह करना पड़ता था. मौर्य काल में गणिकाओं का प्रयोग जासूस के रूप में खूब किया जाता था. वे राजा के आदेश पर जासूसी का काम भी करती थी.
बुढ़ापे में राज्य उठाता था उनका खर्च
जब कोई गणिका अपने सौंदर्य से कमाई करने के लायक नहीं रह जाती थी, तो राज्य उन्हें माता के समान मानता था और उनके बुढ़ापे के लिए सहायता देता था. गणिकाओं के पुत्रों को राजा की सेवा में लगाया जाता था. बुढ़ापे में गणिकाओं को राजा की रसोई में स्थान दिया जाता था, ताकि उनका जीवन सरलता से गुजर सके. गणिकाओं के साथ दुर्व्यवहार करने पर दंड का भी प्रावधान था.
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