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Russia Ukraine War: रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी 2022 को आक्रमण किया था. इस युद्ध में युक्रेन को भारी नुकसान उठाना पड़ा. तो रूस भी इससे अछूता नहीं रहा है. लेकिन युद्ध के दौरान जब पुरुष सैनिक घायल हुए या वो लड़ाई के दौरान शहीद हुए तो उनकी कमी यूक्रेनी महिलाओं ने पूरी की. यूक्रेन की महिलाएं स्वेच्छा से पहले वालिंटियर बटालियन में शामिल हुई, इसके बाद सेना में भर्ती होकर सीधे अग्रिम पंक्ति पर लड़ने भी गई. यूक्रेन की महिलाओं ने युद्ध से जूझ रहे देश के लिए हर कदम पर साथ दिया. यूक्रेन ने भी महिलाओं के लिए सेना में भर्ती होने की आयु सीमा भी बढ़ा दी है.
स्नाइपर से लेकर ड्रोन ऑपरेटर तक
एक यूक्रेनी सांसद के बयान के अनुसार एक समय सेना में 60 हजार से अधिक महिलाएं थी. जो कि युद्ध से पहले की संख्या से 60 फीसदी ज्यादा है. खास बात ये है कि ये महिलाएं, सेना में पुरुषों वाली भूमिका निभा रही हैं. कोई स्नाइपर के रूप में कार्य कर रहा है, तो कोई ड्रोन ऑपरेटर के रूप में सेना में सेवाएं दे रहा है. ये महिलाएं रूसी ड्रोन को भी निशाना बना रही हैं. कोई ग्रेनेड लांचर, टोही समूह का नेतृत्व, ड्राइवर आदि की भूमिका में है. कई महिलाएं सेना के चिकित्सक के रूप में जुड़ी हुई हैं. वो युद्ध में घायल सैनिकों का इलाज र रही हैं. इन सब महिलाओं का लक्ष्य सिर्फ यूक्रेन की जीत है. जब ये महिलाएं वालिंटियर के रूप में शामिल होती हैं तो उन्हें युद्ध का प्रशिक्षण नहीं होता है लेकिन कुछ ही समय में वो बंदूक व अन्य हथियार चलाने से लेकर सभी तरह के कौशल में परांगत हो जाती हैं.
गर्भावस्था छिपाकर कर रही काम
महिलाओं की सेना में शामिल होने की ललक इतनी है कि वो अपनी गर्भावस्था को भी छिपा रही हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसी महिलाओं की संख्या काफी अधिक है, जिन्होंने अपना तीन माह का तक का गर्भ छिपा लिया. भर्ती होने के बाद ऐसी महिला सैनिक भी सामने आई हैं जो सात माह की गर्भावस्था के साथ ऐसे फ्रंट पर काम कर रही हैं, जहां सीधे युद्ध की स्थिति नहीं है. इन महिला सैनिकों के लिए अलग तरह की विशेष वर्दी बनाई गई है. सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि यूक्रेन की महिलाएं अपने देश, बच्चों की रक्षा के लिए सेना में किसी भी भूमिका में काम करने के लिए आगे आ रही हैं.
घर में बैठी महिलाएं भी पीछे नहीं
ऐसा नहीं है कि सिर्फ सेना में रहकर ही महिलाएं देश की मदद कर रही हैं. घर में बैठी महिलाओं में देश प्रेम का जज्बा कम नहीं है. घरों में रहकर युद्ध में गए अपने परिवारीजनों का इंतजार कर रही महिलाएं सैनिकों के लिए विशेष सूट तैयार कर रही हैं. रूस के गांव होरेनका की महिलाएं सैनिकों के लिए रक्षा सूट बना रही हैं. यहां की महिलाएं अब अपने हाथों से खास ‘किकीमोरा सूट’ बना रही हैं, जो सैनिकों को फ्रंट पर छिपने में मदद करता है. ये ऐसा सूट है जो सैनिकों को दुश्मन की नजर से बचाता है. वृद्ध महिलाओं से लेकर युवतियां इन विशेष सूट को तैयार करती हैं. एक सूट को चार महिलाएं मिलकर छह से सात घंटे में तैयार करती हैं.
सेना में सभी पदों पर महिलाओं की तैनाती
यूक्रेन की आधिकारिक वेबसाइट war.ukraine.ua के अनुसार 2014 में रूस युद्ध की शुरुआत के बाद सशस्त्र सेनाओं में लगभग 50 हजार महिलाएं थी. इनमें से 16,500 सीधे सेना में सेवा दे रही थीं. जनवरी 2024 तक ये संख्या 62 हजार से अधिक हो गई थी. इनमें से 45500 महिलाएं सैन्य पदों पर तैनात हैं. इनमें 7 हजार से अधिक महिला अधिकारी, 12 हजार गैर कमीशन अधिकारी, 23 हजार महिला सैनिक, 1300 महिला कैडेट. इसके अलावा 5 हजार से अधिक महिलाएं सेना में वरिष्ठ पदों पर हैं. 13 हजार से अधिक महिलाओं को लड़ाकू का दर्जा दिया गया है. यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय के अनुसार सेना में सभी पदों पर महिलाओं की पहुंच पर आधिकारिक प्रतिबंध हटा दिया गया है.
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