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Yemen Attack: यमन पर हमला, डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर कौन?

Yemen Attack: यमन पर अमेरिका का हमला चर्चा का विषय बना हुआ है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हूती विद्रोहियों को विनाश की चेतावनी दी है. वहीं उसके समर्थक देश ईरान को चेता दिया है. यमन ने इस हमले को युद्ध अपराध बताते हुए, जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है.

Yemen Attack: अमेरिका के समुद्री व्यापारिक जहाजों पर हमला करने की हूती विद्रोहियों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हूतियों को सबक सिखाने के लिए यमन पर हमला किया. यही नहीं इस हमले का लाइव प्रसारण उन्होंने देखा. उन्होंने हूती विद्रोहियों और ईरान को चेतावनी भी जारी की है. अमेरिका ने इसी महीने हूती विद्रोहियों को विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में वर्गीकृत किया था.

डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में अलग ही रंग में हैं. अवैध प्रवासियों को उनके देश डिपोर्ट करना हो या फिर व्यापारिक रिश्तों में कड़ा रूख अपनाते हुए टैरिफ लगाने का मामला, वो किसी को रियायत देने के मूड में नहीं हैं. अब उन्होंने यमन में हूती विद्रोहियों पर कार्रवाई की है. जिसमें लगभग 24 लोगों के मरने की सूचना है. डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे शासन काल में किसी देश पर यह पहला हमला है. इस हमले के पीछे हूती विद्रोहियों का इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध के बाद अमेरिकी युद्धपोतों और उनके सहयोगी देशों के कॉमर्शियल शिप पर हमला करना है. यमन की राजधानी सना और हूतियों के गढ़ उत्तरी प्रांत सादा पर ये हमला किया गया है. यही नहीं अमेरिका ने ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों को चेतावनी दी है कि उनका समय समाप्त हो गया है. डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को भी चेतावनी दी है कि हूतियों का समर्थन बंद करें.

कौन हैं हूती विद्रोही

हूती यमन के अल्पसंख्यक शिया समुदाय का एक समूह है. 1990 के दशक में राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के कथित भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए इसका गठन हुआ था. इस संगठन का नाम संस्थापक हुसैन अल हूती के नाम पर रखा गया है. इस संगठन को ईरान का समर्थन बताया जाता है. ये भी कहा जाता है कि ईरान इस संगठन को हथियार, मिसाइल व ड्रोन आदि मुहैया कराता है. जिसका इस्तेमाल हमलों के लिए करते हैं. ये इजरायल को अपना दुश्मन मानता है. इसलिए उनके समर्थन में लाल सागर से गुजरने वाले शिप पर हमला करता है.

लाल सागर क्यों है महत्वपूर्ण

भूमध्य सागर और हिंद महासागर के बीच स्थित लाल सागर मिश्र, सूडान, यमन, साउदी अरब, जिबूती आदि से घिरा है. ये स्वेज नहर से होकर गुजरनेवाले समुद्री जहाजों के लिए महत्वपूर्ण जलमार्ग है. इससे तेल और लिक्विड नेचुरल गैस सहित कई जरूरी सामान का लेकर व्यापारिक जहाज गुजरते हैं. भूमध्य सागर स्वेज नहर के जरिए लाल सागर से जुड़ा है. इससे बिना अफ्रीका का चक्कर लगाए मालवाहक जहाज भूमध्य सागर से स्वेज नहर के रास्ते अरब सागर पहुंच जाते हैं. लेकिन इजरायल-हमास युद्ध के बाद से हूती विद्रोही लगातार इजरायल जाने वाले जहाजों पर हमला करते हैं. उनका कहना है कि गजा पर हमले के जवाब में वो इजरायल जाने वाले जहाजों पर हमला करते हैं. लेकिन इजरायल से संबंध न रखने वाले जहाजों पर भी हूती हमला करते रहते हैं. इसके चलते बीते एक साल से विश्व के समुद्री व्यापार का 15 प्रतिशत लगभग ठप पड़ा है. इस रास्ते के बंद होने से समुद्री जहाजों को दक्षिण अफ्रीका के लंबे रास्ते का इस्तेमाल करना पड़ता है.

स्वेज नहर

स्वेज नहर मिस्र में स्थित है. 193 किलोमीटर लंबी इस नहर का निर्माण 1859 में शुरू हुआ था. 10 साल में ये नहर बनकर तैयार हुई और 17 नवंबर 1869 में इसका उद्घाटन किया गया. स्वेज नहर से भूमध्य सागर लाल सागर से जुड़ता है. इसके कारण समुद्री व्यापारिक जहाजों को 7000 किलीमीटर की अतिरिक्त यात्रा नहीं करनी पड़ती है. एक तरह से ये नहर यूरोप और एशिया के बीच शॉर्टकट की तरह काम करती है. वर्तमान में इसका स्वामित्व मिश्र के पास है. मिश्र ने 2014 में इस नहर को और अधिक चौड़ा किया था. स्वेज नहर में एक तेल ले जाने वाला जहाज छह दिन तक फंसा रहा था. इस दौरान क्रूड आयल के रेट बढ़ गए थे. जब नहर में यातायात शुरू हुआ तो क्रूड ऑयल के रेट कम हो गए थे.

Amit Yadav
Amit Yadav
UP Head (Asst. Editor)

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