27.9 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

महिलाओं की सामाजिक स्थिति को दर्शाती वीना श्रीवास्तव की कविताएं

वीना श्रीवास्तव का जन्म 14 सितंबर को हुआ. इन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषा में स्नातकोत्तर की डिग्री ली है. 1991 में राष्ट्रीय सहारा के साथ पत्रकारिता की शुरुआत की.बारह वर्षों तक पत्रकारिता किया, लेकिन अब स्वतंत्र लेखन कर रही हैं. इनके कई प्रकाशित कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें ‘तुम और मैं’, मचलते ख्वाब,लड़कियां, […]

वीना श्रीवास्तव का जन्म 14 सितंबर को हुआ. इन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषा में स्नातकोत्तर की डिग्री ली है. 1991 में राष्ट्रीय सहारा के साथ पत्रकारिता की शुरुआत की.बारह वर्षों तक पत्रकारिता किया, लेकिन अब स्वतंत्र लेखन कर रही हैं. इनके कई प्रकाशित कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें ‘तुम और मैं’, मचलते ख्वाब,लड़कियां, शब्द संवाद प्रमुख हैं. आकाशवाणी से नाटकों का प्रसारण . देश के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कविता, कहानी और आलेख प्रकाशित हो चुके हैं. कई सम्मान भी मिल चुके हैं जिनमें श्यामधारा सम्मान (उत्तर प्रदेश),प्रमोद वर्मा युवा सम्मान (इजिप्ट),सृजन सम्मान (छत्तीस गढ़), शब्द मधुकर सम्मान (मध्य प्रदेश)
संपर्क – ईमेल- [email protected]

मो. 9771431900, 7004047309
पता- सी-201, श्रीराम गार्डेन, कांके रोड, रांची
(झारखंड) – 834008
हमारे देश में महिलाओं की जो सामाजिक स्थिति है, उसके कारण एक मां हमेशा अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर आशंकित रहती है. वीना श्रीवास्तव ने अपनी इन कविताओं में मां की उसी आशंका को रेखांकित किया है. किस तरह एक लड़की की योग्यता उसके रूप की मोहताज है यह भी कविताओं के जरिये बताया गया है. पढ़ें वीना श्रीवास्तव की दो कविता:-
बेटी की मां
आज समझ आया
जब जन्मी थी नन्ही कली
क्यों ओस से भीग गयी थीं पत्तियां
तेरी आंख के दोने
क्यूं भर गये थे आंसुओं से
जिन्हें समझा था
खुशी की गंगा-यमुना
कल-कल बहती शांत नदियां
दो खूबसूरत झरनों से
झरती बारिश
दरअसल वो था
पहाड़ों पर आया तूफान
आने वाली तबाही से मर्माहत मन
जिसने खुशी के साथ
घोल दिया था अनजाना डर
वो सहमी-सी भीगी निगाहें
अनजाने डर का बांध तोड़कर
विलुप्त हो गयीं थी दिल में सरस्वती- सी
बेटी पर यौवन की चढ़ती सुनहरी धूप ने
झुलसा दिया चेहरे को
कोहिनूर- सी झिलमिला रही थी मेरी काया
और तेरे शरीर में उग आये थे
किसी अनहोनी की आशंका के कैक्टस
हरदम घड़ी की सुइयों की तरह
टिक-टिक करने लगीं तेरी सांसें
रोज अपने पल्लू में गांठ बांध के
पहनाकर मन्नतों का कवच
बाहर भेजती मुझे
पल्लू में होती एक गांठ
और तेरे चेहरे पर
गाठों का अंबार
रात को वो गांठ खोलते हुए
ईश्वर के आगे
नतमस्तक मिलतीं तेरी भावनाएं
वो भावनाएं
जो मेरे सकुशल लौटने पर
एक दीप बालती
अब समझ आया
भीड़ में क्यूं तुम्हारी बरगद –सी बाहें
सुरक्षा घेरा बना जाती थीं
ताड़- सी बढ़ती चिंताओं के बीच
ना जाने कैसी- कैसी आशंका के
बांस उग आए थे डर के जंगल में
आशंका के कोहरे, अनहोनी का डर
चिंताओं की धूप, परेशानियों के बादल
और चक्रव्यूह- सी बींधती नजरें
मुझे भी नजर आने लगी थीं स्पष्ट
मां को दुश्मन समझने वाली आंखों में
पड़ा मोतियाबिंद का जाला
हट चुका था
आज तुम्हारी नातिन को देखा
जवानी की कुंलाचें भरते हुए
अब मेरा भी
रोज सफेद हो रहा है
एक बाल
और पल्लू में बंधने लगी गांठ
बेटी
वह लंगड़ी ही सही
है तो बेटी ही
इकलौती नहीं
तो क्या हुआ
दुलार पाया उसने
हमेशा इकलौते होने का
मां की आत्मा अटकती है
अपने कमजोर बच्चे में
मां ने छुपाया
सदैव ही उसे अपने आंचल में
उसके भागते-दौड़ते इरादों को
जब-तब ही दिये
अपने पांव
उसकी बेबसी को
हमेशा पहनाया उत्साह का कवच
मां को मलाल है तो
उसके विवाह का
कैसे होगा उसका ब्याह
उसकी बेटी है श्याम वर्ण
थोड़े से बड़े हैं दांत
तो क्या हुआ
कृष्ण भी तो काले थे
और थोड़े ही से तो बड़े हैं दांत
मां को कमी नजर नहीं आयी
अपनी बेटी में
उसे जीवन भर रही प्रतीक्षा
किसी राजकुमार के आने की
मां भी
कंकणों की भीड़ में
चांद-सी बेटी को छोड़कर
शामिल हो गयी है
तारों की दुनिया में
अब
सबको नजर आने लगी हैं
उसकी कमियां
खलने लगा है
उसका बदरंगा रूप
सब कहते हैं उसे लंगड़ी
पिता कहता है
कौन थामेगा तेरा हाथ
तेरी किस्मत में है
झाड़ू-पोछा-बर्तन
तू खुद खड़ी हो
अपने लंगड़े पैरों पर
और कमा
अपने काले हाथों से
दो जून के लिए
सफेद रोटी
कोई नहीं कमाएगा तेरे लिए
तुझे झूठे बर्तन धोकर
चमकानी होगी किस्मत अपनी
जिससे मरते दम तक
कुछ तो दमकता रहे
काला भाग्य तेरा
यह भी पढ़ें:-

मशहूर कथाकार जयनंदन की कहानी ‘सूखते स्रोत’

गीत चतुर्वेदी की कलम से : दिल के क़िस्से कहां नहीं होते

सिंदूर प्रकरण : मैत्रेयी ने पोस्ट हटाई कहा, किसी स्त्री का अपमान नहीं होना चाहिए, समर्थन में आये कई लोग

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel