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”बाघ और सुगना मुंडा की बेटी” आदिवासी संघर्ष की रचनात्मक अभिव्यक्ति है : अनुज लुगुन

झारखंड के प्रसिद्ध प्रखर कवि अनुज लुगुन को युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किये जाने की घोषणा हुई है. उन्हें यह पुरस्कार उनकी लंबी कविता ‘बाघ और सुगना मुंडा की बेटी’ के लिए दिया जा रहा है.अनुज लुगुन ने पुरस्कार की घोषणा के बाद प्रभात खबर डॉट कॉम के साथ इस कविता और सम्मान […]

झारखंड के प्रसिद्ध प्रखर कवि अनुज लुगुन को युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किये जाने की घोषणा हुई है. उन्हें यह पुरस्कार उनकी लंबी कविता ‘बाघ और सुगना मुंडा की बेटी’ के लिए दिया जा रहा है.अनुज लुगुन ने पुरस्कार की घोषणा के बाद प्रभात खबर डॉट कॉम के साथ इस कविता और सम्मान पर बातचीत की.

उन्होंने कहा यह सम्मान इस मायने में ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है कि ‘बाघ और सुगना मुंडा की बेटी’ लंबी कविता के द्वारा आदिवासी संघर्ष, उसके इतिहास और मिथक के रचनात्मक प्रयोग को समझने की कोशिश की गई है. आदिवासी समाज के संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है. आदिवासी समाज आज भी संघर्ष कर रहा है. उसके इस संघर्ष की ही रचनात्मक अभिव्यक्ति इस कविता में हुई है. मैं इस सम्मान को जल, जंगल और जमीन के लिए संघर्षरत लोगों को समर्पित करता हूं.यह कविता आदिवासी सामज के विस्मृत इतिहास से संवाद है.

यह इतिहास में दर्ज अनगिनत गुमनाम आदिवासी स्त्री संघर्ष के इतिहास की भी बात करता है. वर्तमान स्त्री संघर्ष को वैश्विक धरातल पर आदिवासी संघर्ष से जोड़ता है. यहां यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि यह संघर्ष सिर्फ़ आदिवासी समाज का संघर्ष नहीं है. यह मनुष्यता का संघर्ष है। यह सहजीविता के लिए संघर्ष है. आदिवासी पुरखों ने कहा था, ‘यह धरती केवल मनुष्यों के लिए नहीं है.’ इस लंबी कविता की नायिका सुगना मुंडा की बेटी उसी विचार का प्रतिनिधित्व करती है. उसका भी कहना है कि,’ यह धरती केवल मनुष्यों के लिए नहीं है.’

आज की अति उपभोक्ता वादी जीवन संस्कृति ने प्रकृति को मनुष्य से दूर कर दिया है. प्राकृतिक तत्त्व को मुनाफे की तरह देखा जा रहा है. यह उम्मीद की जा रही है कि सारी दुनिया ही बाज़ार में रूपांतरित हो जाये आदिवासी समाज की जीवन दृष्टि इस वर्चस्वकारी उपभोक्तावादी जीवन संस्कृति का प्रतिरोध करती है. यह वर्चस्व के सभी रूपों का प्रतिरोध करती है. इसकी जीवन दृष्टि समतामूलक जीवन दृष्टि है. आदिवासी सामज वर्चस्वकारी शक्तियों को ‘उलटबग्घा’ के रूप में चिन्हित करती है. यह कविता ‘उलटबग्घा’ के रूप में मौजूद आज की वर्चस्वकारी शक्तियों ; जैसे नव साम्राज्यवादी हमले, लैंगिक अपराध और मनुवादी प्रवृत्ति का प्रतिपक्ष तैयार करती है.

झारखंड के प्रसिद्ध युवा कवि अनुज लुगुन को युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार दिये जाने की घोषणा

Prabhat Khabar Digital Desk
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