Chaitra Purnima 2025: वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पर पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. इस तिथि के समाप्त होने के बाद नए महीने की शुरुआत होती है. चैत्र माह की पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. आज, 12 अप्रैल 2025 को चैत्र पूर्णिमा है, और इस दिन गजकेसरी योग का निर्माण भी हो रहा है. आइए जानते हैं कि इससे हमें क्या लाभ मिल सकता है.
चैत्र पूर्णिमा पर गजकेसरी योग का निर्माण
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. यह तिथि धार्मिक दृष्टि से पवित्र मानी जाती है और इस दिन बनने वाले योग जीवन में सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं. वर्ष 2025 की चैत्र पूर्णिमा पर एक अत्यंत शुभ योग—गजकेसरी योग—का निर्माण हो रहा है, जिसे ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यंत लाभकारी माना जाता है.
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गजकेसरी योग क्या है?
गजकेसरी योग तब उत्पन्न होता है जब चंद्रमा और बृहस्पति एक-दूसरे के केंद्र स्थान (1, 4, 7 या 10वें भाव) में होते हैं. यह योग व्यक्ति को बुद्धिमान, प्रभावशाली और सम्मानित बनाता है. गज (हाथी) और केसरी (सिंह) दो शक्तिशाली प्रतीक हैं, और जब इनका योग बनता है, तो यह राजयोग के समान फलदायी होता है.
चैत्र पूर्णिमा और गजकेसरी योग का संयोग
इस वर्ष चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर चंद्रमा और गुरु की स्थिति एक ऐसा योग बना रही है, जिसे गजकेसरी योग कहा जाता है. यह योग उन जातकों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद रहेगा, जिनकी कुंडली में चंद्रमा और गुरु की स्थिति शुभ है. यह समय नई शुरुआत, शुभ कार्यों, धन की प्राप्ति, करियर में प्रगति और मान-सम्मान अर्जित करने के लिए अत्यंत अनुकूल है.
धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से लाभ
चैत्र पूर्णिमा पर व्रत, दान और स्नान का विशेष महत्व होता है. गंगा स्नान, विष्णु पूजा और सत्यनारायण व्रत करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है. गजकेसरी योग के प्रभाव से इस दिन किए गए धार्मिक कार्य और भी अधिक फलदायी बन जाते हैं.
कौन सी राशियों को मिलेगा विशेष लाभ?
इस योग का शुभ प्रभाव विशेष रूप से मेष, कर्क, सिंह, धनु और मीन राशि के जातकों पर अधिक रहेगा. इन्हें करियर, व्यवसाय, शिक्षा और रिश्तों में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे.