Vice President Jagdeep Dhankhar Resignation, Shani Ki Sadhe Saati: शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव व्यक्ति के जीवन के कई पहलुओं पर पड़ता है, और स्वास्थ्य भी इससे अछूता नहीं रहता. जब शनि जन्म राशि से पहले, उसी राशि में और उसके बाद की राशि में गोचर करता है, तो यह अवधि साढ़े सात वर्षों की मानी जाती है, जिसे साढ़ेसाती कहा जाता है. यदि यह गोचर अशुभ ग्रहों की दृष्टि या युति में हो या शनि कुंडली में कमजोर हो, तो इसका असर विशेष रूप से स्वास्थ्य पर दिखाई देने लगता है.
शनि को आयु, हड्डियों, त्वचा, जोड़, नसों और पुरानी बीमारियों का कारक माना जाता है. साढ़ेसाती के समय व्यक्ति शारीरिक थकावट, मानसिक तनाव, अनिद्रा, अवसाद, गठिया, पीठ या घुटनों में दर्द, चोट या दुर्घटनाओं की आशंका, यहां तक कि लंबी बीमारी जैसी समस्याओं का सामना कर सकता है. यह असर विशेष रूप से तब बढ़ जाता है जब शनि षष्ठ, अष्टम या द्वादश भाव से जुड़ता है.
हालांकि, यदि शनि उच्च राशि में स्थित हो, मित्र ग्रहों के साथ हो या शुभ दृष्टि में हो, तो इसके दुष्प्रभाव काफी कम हो जाते हैं. चूंकि शनि अनुशासन, संयम और नियमितता का प्रतीक है, इसलिए इस दौरान जीवनशैली में सुधार करना लाभदायक होता है. योग, प्राणायाम, संतुलित आहार और समय पर सोना-जागना जैसे उपाय स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयोगी सिद्ध होते हैं.
सुझाव और उपाय: साढ़ेसाती के प्रभाव को कम करने हेतु शनिवार को व्रत रखना, हनुमान चालीसा या शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करना, तेल का दान करना और ज़रूरतमंदों की सेवा करना लाभकारी माना जाता है.
साढ़ेसाती के दौरान स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां सामने आ सकती हैं, लेकिन संयम, अनुशासन और उचित उपायों से इनका प्रभाव काफी हद तक कम किया जा सकता है.
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा और शनि का प्रभाव
बीते दिनों भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित पत्र में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और चिकित्सकों की सलाह का हवाला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अंतर्गत अपना त्यागपत्र सौंपा. आपको बता दें कि ज्योतिष इसे भी शनि के प्रभाव से जोड़कर देख रहे हैं.
डिस्क्लेमर:
यह लेख prabhatkhabar.com के धर्म सेक्शन के लिए तैयार किया गया है और इसमें प्रस्तुत ज्योतिषीय विश्लेषण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जन्म तिथि और सामान्य ग्रह गोचर के आधार पर किया गया है. इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक और वैदिक दृष्टिकोण से घटनाओं की व्याख्या करना है. इसमें व्यक्त विचार किसी व्यक्ति विशेष के निजी निर्णयों या राजनीतिक परिस्थितियों पर टिप्पणी नहीं करते. पाठकों से अनुरोध है कि इसे भविष्यवाणी या सुनिश्चित निष्कर्ष के रूप में न लें, बल्कि यह एक संभावित ज्योतिषीय दृष्टिकोण है.