Guru Purnima Ki Aarti: वर्ष 2025 में आज, यानी 10 जुलाई को पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने महाभारत और अनेक पुराणों की रचना की। आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को वेदव्यास जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर गुरुओं की पूजा और सम्मान करने की परंपरा है। शिष्य अपने गुरु से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपवास रखते हैं और विशेष पूजन का आयोजन करते हैं। कई स्थानों पर हवन-यज्ञ का भी आयोजन किया जाता है। पूजन के समापन पर गुरु की आरती गाई जाती है, जिसमें उनकी महिमा और उपकारों का गुणगान किया जाता है। यदि आप भी गुरु पूर्णिमा का व्रत कर रहे हैं तो पूजन के अंत में यह आरती अवश्य गाएं। नीचे पढ़ें गुरु आरती के लिरिक्स
गुरु महाराज की आरती हिंदी में
जय गुरुदेव अमल अविनाशी, ज्ञानरूप अन्तर के वासी,
पग पग पर देते प्रकाश, जैसे किरणें दिनकर कीं।
आरती करूं गुरुवर की॥
जब से शरण तुम्हारी आए, अमृत से मीठे फल पाए,
शरण तुम्हारी क्या है छाया, कल्पवृक्ष तरुवर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
ब्रह्मज्ञान के पूर्ण प्रकाशक, योगज्ञान के अटल प्रवर्तक।
जय गुरु चरण-सरोज मिटा दी, व्यथा हमारे उर की।
आरती करूं गुरुवर की।
अंधकार से हमें निकाला, दिखलाया है अमर उजाला,
कब से जाने छान रहे थे, खाक सुनो दर-दर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
संशय मिटा विवेक कराया, भवसागर से पार लंघाया,
अमर प्रदीप जलाकर कर दी, निशा दूर इस तन की।
आरती करूं गुरुवर की॥
भेदों बीच अभेद बताया, आवागमन विमुक्त कराया,
धन्य हुए हम पाकर धारा, ब्रह्मज्ञान निर्झर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
करो कृपा सद्गुरु जग-तारन, सत्पथ-दर्शक भ्रांति-निवारण,
जय हो नित्य ज्योति दिखलाने वाले लीलाधर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
आरती करूं सद्गुरु की
प्यारे गुरुवर की आरती, आरती करूं गुरुवर की।