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MS Dhoni: गोलकीपर और टीटी से कैप्टन कूल तक, एमएस धोनी के 7 फैक्ट्स, जिन्होंने क्रिकेट के साथ बदलीं जिंदगियां

MS Dhoni Birthday: 7 जुलाई भारतीय क्रिकेट के दीवनों के लिए खास है, क्यों? क्योंकि इस दिन इंडियन क्रिकेट के उस सितारे का जन्मदिन है, जिसने जीत की नई परिभाषा लिखी. थाला एमएस धोनी का जन्मदिन 7 जुलाई को हुआ और अंक 7 उनसे इतना जुड़ा कि यही उनकी पहचान भी बन गई. आज कैप्टन कूल माही के बर्थडे पर जानें वो 7 किस्से, जिन्होंने धोनी जैसा दिग्गज तैयार किया.

MS Dhoni Birthday: 7 जुलाई, भारतीय क्रिकेट इतिहास का वो दिन जब झारखंड की मिट्टी ने एक ऐसा रत्न दिया, जिसने यह साबित किया कि मैदान पर सबसे बड़ा शोर नहीं, सबसे बड़ी शांति जीत दिलाती है. हम बात कर रहे हैं महेंद्र सिंह धोनी की, रेलवे के टीटी से टीम इंडिया के कप्तान बनने वाले, और क्रिकेट को सोचने का तरीका बदल देने वाले शख्स की. आज जब माही 44 साल के हो चुके हैं, तो चलिए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े 7 ऐसे अनमोल किस्से, जिन्होंने भारत क्रिकेट का ऐसा स्टार पैदा किया, जिसने देश में जीत की नई इबारतें लिखीं. 

1. गोलकीपर से विकेटकीपर बनने की कहानी

धोनी की पहली पसंद क्रिकेट नहीं, फुटबॉल थी. स्कूल में वो गोलकीपर हुआ करते थे. एक दिन उनके स्पोर्ट्स टीचर ने कहा कि क्रिकेट टीम को विकेटकीपर चाहिए, ट्राय करोगे? बस, वहीं से कहानी बदल गई. जो लड़का फुटबॉल में गोल बचाता था, वही बाद में भारत के लिए वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रच गया.

2. टीटी की नौकरी से छोड़ी जिंदगी की सुरक्षा

झारखंड में रेलवे में टीटी की नौकरी मिलना एक सपना होता है, लेकिन धोनी का सपना कुछ और था. प्लेफॉर्म पर टिकट चेक करने वाला लड़का एक दिन भारतीय क्रिकेट की सबसे बड़ी ट्रॉफी थामेगा, ये खुद उसे भी नहीं पता था. लेकिन उसने अपनी सुरक्षित नौकरी छोड़ दी, क्योंकि उसके इरादे में आग थी.

3. बालों से स्टाइल, आंखों में जुनून

पाकिस्तान के खिलाफ अपना पहला वनडे खेलते वक्त धोनी की लंबी जुल्फें और आक्रामक बैटिंग सबका ध्यान खींच गईं. रन आउट होने के बावजूद चर्चा माही की ही थी. यहां तक कि परवेज मुशर्रफ भी उनके लुक्स और गेम के फैन हो गए थे.

4. बाइक से प्यार, सादगी से नाता

धोनी जितने बड़े क्रिकेटर हैं, उतने ही सादगीपसंद भी. जब उन्हें पहली बार तनख्वाह मिली, तो उन्होंने सबसे पहले एक सेकंड हैंड बाइक खरीदी. आज उनके पास 50 से ज्यादा बाइक्स हैं, लेकिन आज भी उन्हें खुद उन्हें धोने का शौक भी है. आज भी वे अपनी गाड़ी लेकर निकल जाते हैं, बिना किसी सिक्योरिटी के और वही आम जिंदगी जीते हैं. यही माही हैं करोड़ों के मालिक, लेकिन दिल से हमेशा जमीन से जुड़े.

5. मैदान पर शांति का पर्याय

धोनी को यूं ही ‘कैप्टन कूल’ नहीं कहा गया. जब पूरा देश सांसें थामे बैठा होता, तब धोनी बस दस्ताने कसते और फील्ड पर एक साइलेंट स्ट्रैटेजी बनाते. टीम चाहे दबाव में हो या हार की कगार पर, माही की आंखों में कभी घबराहट नहीं दिखी.

6. कप्तान भले न रहें, लेकिन मार्गदर्शक हमेशा रहेंगे

धोनी ने जब वनडे और टी20 की कप्तानी छोड़ी, तो किसी को भरोसा नहीं हुआ. लेकिन असली लीडर वो होता है जो बिना पद के भी टीम को आगे बढ़ाए. माही हमेशा युवाओं के साथ खड़े रहे, कभी सलाह देकर, तो कभी चुपचाप साए की तरह मददगार बनकर.

7. धोनी सिर्फ एक नाम नहीं, सोच है

महेंद्र सिंह धोनी की कहानियाँ सिर्फ क्रिकेट की नहीं हैं, बल्कि जिंदगी में भरोसा बनाए रखने की मिसाल हैं. वो हमें सिखाते हैं कि रास्ता चाहे जितना कठिन हो, अगर मन शांत और इरादे मजबूत हों, तो मंजिल जरूर मिलती है. उन्होंने कठिन समय में भी खुद पर विश्वास रखा और सिर्फ क्रिकेट नहीं बल्कि जिंदगी के लिए भी मिसाल कायम की.

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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