Divya Deshmukh: भारत की उभरती हुई शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने देश का नाम एक बार फिर ऊंचा कर दिया है. 19 साल की दिव्या देशमुख ने भारतीय शतरंज जगत में नया अध्याय जोड़ते हुए फिडे वीमेंस वर्ल्ड कप 2025 का खिताब अपने नाम कर लिया. जॉर्जिया में आयोजित इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में उन्होंने अनुभवी कोनेरू हंपी को हराकर इतिहास रचा. इस जीत के साथ ही दिव्या ने न केवल विश्व चैंपियन का खिताब जीता, बल्कि स्वतः ही ग्रैंडमास्टर बनने का गौरव भी प्राप्त किया. इनामी राशि और ख्याति के साथ उनकी नेटवर्थ भी तेजी से बढ़ी है.
फाइनल मुकाबले में दिव्या ने शानदार खेल का प्रदर्शन किया और हंपी को पीछे छोड़ते हुए खिताबी जीत दर्ज की. इस जीत के साथ दिव्या को करीब 43 लाख रुपये की इनामी राशि मिली है, जबकि उपविजेता हंपी को लगभग 30 लाख रुपये मिले.

दिव्या देशमुख का जन्म 2 दिसंबर 2005 को महाराष्ट्र में हुआ था. उन्होंने महज 5 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू कर दिया था. 2012 में उन्होंने अंडर-7 राष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया.
इसके बाद दिव्या ने लगातार सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ीं. वह 2021 में भारत की 21वीं महिला ग्रैंडमास्टर बनीं और 2023 में इंटरनेशनल मास्टर (IM) की उपाधि प्राप्त की.
2024 में लगातार धमाकेदार प्रदर्शन
वर्ष 2024 दिव्या के लिए बेहद खास रहा. उन्होंने इस साल विश्व जूनियर अंडर-20 चैंपियनशिप जीतने के साथ-साथ लंदन में आयोजित टीम ब्लिट्ज चैंपियनशिप में विश्व नंबर-1 हो यि फान को हराकर दुनिया भर का ध्यान खींचा. और अब, फिडे वुमेंस वर्ल्ड कप जीतकर वह इस साल की सबसे बड़ी भारतीय शतरंज उपलब्धि का हिस्सा बन गई हैं.
दिव्या का अब तक का करियर
- 2021 में भारत की 21वीं महिला ग्रैंडमास्टर बनीं
- 2023 में इंटरनेशनल मास्टर (IM) का खिताब जीता
- 2024 में विश्व जूनियर अंडर-20 चैंपियनशिप में गोल्ड
- लंदन में वर्ल्ड टीम ब्लिट्ज में हो यि फान को हराया
- और अब फिडे वर्ल्ड कप चैंपियन
- लंदन में वर्ल्ड टीम ब्लिट्ज में हो यि फान को हराया
Divya Deshmukh: नेटवर्थ में भी जबरदस्त उछाल
दिव्या देशमुख की इस ऐतिहासिक जीत के साथ उनकी कुल नेटवर्थ में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. विभिन्न स्रोतों के अनुसार, जून 2025 तक उनकी संपत्ति करीब 1 से 2 करोड़ रुपये के बीच थी, जो अब बढ़कर लगभग 2.5 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.
भारत को नई स्टार मिली
दिव्या की यह उपलब्धि न केवल उनके लिए बल्कि भारतीय शतरंज जगत के लिए भी गौरव की बात है. उन्होंने यह साबित कर दिया है कि मेहनत, समर्पण और आत्मविश्वास के दम पर कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.
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