Saina Nehwal part ways with husband Parupalli Kashyap: भारत की मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने घोषणा की है कि वह अपने पति और बैडमिंटन खिलाड़ी परुपल्ली कश्यप से अलग हो गई हैं. साइना और कश्यप की शादी साल 2018 में हुई थी और सात साल बाद अब उनका रिश्ता समाप्त हो गया है. 7 साल बाद दोनों ने अपने रिश्ते को विराम दिया है. साइना और कश्यप की मुलाकात हैदराबाद स्थित पुलेला गोपीचंद की ट्रेनिंग अकादमी में हुई थी, जहां दोनों ने एक साथ ट्रेनिंग ली थी.
साइना नेहवाल भारतीय महिला बैडमिंटन की पहली सुपरस्टार मानी जाती हैं. उन्होंने 2012 के लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक (ब्रॉन्ज) जीता था. वहीं, पारुपल्ली कश्यप ने 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था. रविवार को इंस्टाग्राम पर साइना ने एक निजी अपडेट साझा किया जिसने खेल जगत को हैरान कर दिया है. राष्ट्रमंडल खेलों में दो बार की चैंपियन साइना ने लिखा, ‘‘जिंदगी हमें कभी-कभी अलग दिशाओं में ले जाती है. बहुत सोच-विचार के बाद कश्यप पारुपल्ली और मैंने अलग होने का फैसला किया है. हम अपने और एक-दूसरे के लिए शांति, विकास और उपचार का विकल्प चुन रहे हैं. मैं इन यादों के लिए आभारी हूं और भविष्य के लिए शुभकामनाएं देती हूं. कृपया इस समय हमारी निजता का सम्मान करें. धन्यवाद.”

28 साल से था जान-पहचान का रिश्ता
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों की पहली मुलाकात साल 1997 में एक बैडमिंटन कैंप के दौरान हुई थी. हालांकि, 2002 से वे एक-दूसरे से नियमित रूप से मिलने लगे, जब हैदराबाद में दोनों ने एक साथ ट्रेनिंग शुरू की. 2004 में जब भारत के मुख्य बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद ने अपनी अकादमी की शुरुआत की, तो साइना और कश्यप दोनों ने वहां प्रशिक्षण लेना शुरू किया. इसी दौरान, जब वे विश्व जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप की तैयारियों में जुटे थे, उनके बीच दोस्ती गहराने लगी और यही दोस्ती धीरे-धीरे रिश्ते में बदल गई. उसी समय से दोनों ने एक-दूसरे को डेट करना शुरू किया.
साइना का बैडमिंटन करियर रहा शानदार
हरियाणा से ताल्लुक रखने वाली साइना ने 2008 में बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप जीतकर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था. उसी साल उन्होंने अपना पहला ओलंपिक खेला, हालांकि पदक पाने के लिए उन्हें चार साल और इंतजार करना पड़ा. 2008 में साइना ओलंपिक क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. उन्होंने विश्व की पांचवीं रैंक वाली हांगकांग की वांग चेन को हराया, लेकिन इंडोनेशिया की मारिया क्रिस्टिन यूलियंती से हार गईं. 2009 में वह बीडब्ल्यूएफ सुपर सीरीज़ खिताब जीतने वाली पहली भारतीय बनीं.
उनकी शानदार उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें 2009 में अर्जुन पुरस्कार और 2010 में राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया. साइना ने भारत के लिए कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और तमाम खिताब और पदक अपने नाम किए. साइना अब तक की एकमात्र भारतीय महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने विश्व रैंकिंग में नंबर-1 स्थान हासिल किया है. उन्होंने देश के युवाओं और खिलाड़ियों को प्रेरित करने में अहम भूमिका निभाई है.
कश्यप ने भी हासिल की ढेरों उपलब्धियां
वहीं परुपल्ली कश्यप ने 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा था. यह 32 वर्षों में पहली बार था जब किसी भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ने राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड मेडल जीता. उन्होंने प्रकाश पादुकोण और पुलेला गोपीचंद जैसे पूर्व ऑल इंग्लैंड चैंपियनों के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लिया था. कश्यप ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ी भी हैं. उन्होंने यह उपलब्धि 2012 के समर गेम्स में हासिल की थी. 2013 में वह अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ विश्व रैंकिंग छह तक पहुंचे, हालांकि चोटों की वजह से वह इसे बरकरार नहीं रख सके.
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