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113 साल पहले अंग्रेजों ने बिहार को बंगाल से किया था अलग, शस्त्र और शास्त्र दोनों का जन्मदाता रहा राज्य 

बिहार : आज जो हम बिहार को देखते हैं वो पहले ऐसा नहीं था. पहले बिहार की सीमाएं दक्षिण भारत तक फैली थी. लेकिन समय के साथ बिहार का बंटवारा होता चला गया और आधुनिक बिहार का निर्माण हुआ.

बिहार आज अपनी स्थापना का 113वां साल मना रहा है. आज ही के दिन 22 मार्च 1912 को ब्रिटिश सरकार ने बिहार को बंगाल प्रेसीडेन्सी से अलग कर एक नया राज्य बनाया. उस वक्त बिहार का क्षेत्रफल बहुत बड़ा था, जिस संभालना अंग्रेजों के बस की बात नहीं थी. इसलिए उन्होंने धीरे-धीरे पहले ओडिशा और फिर बंगाल को  बिहार से अलग किया. कई बंटवारे का दर्द सहते हुए भी बिहार ने कभी अपना मूल स्वभाव नहीं बदला और जब देश की आजादी में बलिदान देने की बात आई तो यहां की धरती ने कई महान क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों को जन्म दिया, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम किरदार निभाया. 

चाणक्य से लेकर राजेंद्र प्रसाद तक का घर रहा बिहार 

प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक बिहार की धरती से कई महान शख्सियतों ने देश-दुनिया में अपना परचम लहराया. विद्यापति, भगवान बुद्ध और महावीर से बिहार को खास पहचान मिली है. चाणक्य, चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है. इसके साथ ही, देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म बिहार के सिवान में हुआ था. 

दिनकर और मांझी ने बिहार को दिलाई नई पहचान 

बिहार की धरती से रामधारी सिंह दिनकर, बाबा नागार्जुन (बैधनाथ मिश्र यात्री) जैसे महान कवि निकले हैं. गया में दशरथ मांझी जैसे शख्स ने जन्म लिया, जिन्होंने पहाड़ का सीना चीरकर यह संदेश दिया कि इंसान के लिए कुछ भी असंभव नहीं है. इस धरती का इतिहास अत्यधिक गौरवपूर्ण रहा है.बिहार की सांस्कृतिक धरोहर भी बहुत समृद्ध है. यहां की कला, साहित्य, संगीत और नृत्य शैली भारत की सांस्कृतिक धारा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. बिहार की मगही, भोजपुरी और मैथिली जैसी भाषाएं साहित्यिक धरोहर के रूप में पहचान प्राप्त कर चुकी हैं. 

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विश्वभर के छात्रों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा नालंदा विश्वविद्यालय

राजगीर, बोधगया, पटना साहिब, वैशाली, और नालंदा जैसे ऐतिहासिक स्थल बिहार के गौरवमयी इतिहास को संजोए हुए हैं. नालंदा विश्वविद्यालय, जो प्राचीन भारत का एक प्रमुख शिक्षण केंद्र था, बिहार का एक अनमोल धरोहर है, जो आज भी विश्वभर के छात्रों के लिए आकर्षण का केंद्र है. इसके अलावा, बोधगया में महात्मा बुद्ध का ज्ञान प्राप्त करने का स्थल के रूप में बिहार का विशेष स्थान है. 

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Prashant Tiwari
Prashant Tiwari
प्रशांत तिवारी डिजिटल माध्यम में पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में एक्टिव हैं. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी से करके राजस्थान पत्रिका होते हुए फिलहाल प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम तक पहुंचे हैं, देश और राज्य की राजनीति में गहरी दिलचस्पी रखते हैं. साथ ही अभी पत्रकारिता की बारीकियों को सीखने में जुटे हुए हैं.

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