गर्भावस्था के दौरान एनीमिया की समस्या मां और बच्चे के लिए खतरनाक
पूर्णिया. जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान एनीमिया से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा यूनिसेफ और एम्स के संयुक्त प्रयास से सभी स्वास्थ्य कर्मियों को एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. इस दौरान एम्स पटना के सीनियर रेसिडेंट डॉ वेंकेटेश कार्तिकेन, डॉ एंजेला, यूनिसेफ राज्य पोषण पदाधिकारी डॉ संदीप घोष और अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ द्वारा जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए आवश्यक जानकारी दी गयी. सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया ने कहा कि पूर्णिया जिले में लगभग 70 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं के एनीमिया ग्रसित होने की संभावना है. उन्होंने सभी स्वास्थ्य कर्मियों को नियमित रूप से गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच करने का निर्देश दिया. प्रशिक्षण के दौरान सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया, एसीएमओ डॉ आरपी मंडल, डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास के साथ साथ एम्स पटना के सामुदायिक एवं परिवारिक स्वास्थ्य विभाग के सीनियर रेसिडेंट डॉ वेंकटेश कार्तिकेन, यूनिसेफ राज्य सलाहकार प्रकाश सिंह, जिला पोषण सलाहकार निधि भारती, एनीमिया मुक्त भारत यूनिसेफ कंसल्टेंट शुभम गुप्ता और सभी स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सा पदाधिकारी और स्टाफ नर्स/एएनएम उपस्थित रहे.खून में हीमोग्लोबिन की कमी एनीमिया के लक्षण
प्रशिक्षण में एम्स पटना की विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ वेंकेटेश कार्तिकेन और डॉ एंजेला ने बताया कि शारीरिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए उपलब्ध खून में हीमोग्लोबिन की कमी से संबंधित व्यक्ति एनीमिया ग्रसित हो जाता है. इससे प्रसव के दौरान मां और बच्चे के स्वास्थ को खतरा हो सकता है. इससे सुरक्षा के लिए गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच में उनके खून में हीमोग्लोबिन स्थिति की पहचान करते हुए उन्हें आयरन सुक्रोज की सुविधा उपलब्ध कराना चाहिए. डॉ वेंकेटेश कार्तिकेन ने कहा कि अत्यधिक थकान और सांस लेने में तकलीफें, चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना, सिरदर्द, पीली त्वचा, तेज़ दिल की धड़कन, कम रक्तचाप आदि एनीमिया रोग के लक्षण है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है