उदवंतनगर.
सावन माह के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि मंगलवार को जिलावासियों ने नागपंचमी का त्योहार परंपरागत तरीके से मनाया. अहले सुबह से ही लोग अपने घरों की सफाई में जुट गये. मिट्टी के घरों एवं आंगन को गाय के गोबर से लीपा गया. पक्का अथवा मिट्टी के घरों को गाय की गोबर से घेरा बनाया गया. ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी के दिन गाय के गोबर की घेराबंदी से सर्प का प्रकोप कम होता है और नागदेवता की कृपा बनी रहती है. उसके बाद स्नानादि करके शुद्धता व पवित्रता के साथ नागदेवता का पूजन कर स्वजनों के मंगल कामना की गयी. वैसे तो यह पूजा घर-घर की जाती है, लेकिन जिले में सेदहां सहित कई गांवों में नागदेव के मंदिर बने हैं, जिसमें सावन के नागपंचमी के दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं व नागदेवता की पूजा-अर्चना करते हैं. पंडित विवेकानंद पांडेय ने बताया कि नागपंचमी का त्योहार जिले में पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है. प्रसाद के रूप में धान का लावा, गुड़ व दूध चढ़ाते हैं. नागदेवता को चढ़ाये गये प्रसाद को परिजनों में वितरित किया जाता है. वैसे कोईलवर प्रखंड के कुल्हाड़ियां गांव के कई परिवार नागदेवता को अपना कुल देवता मानते हैं. नागपंचमी के दिन विशेष पूजा-अर्चना करते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है