आरा. नगर के धोबी घटवा व जीरो माइल पर जाम की समस्या से लोग घंटों परेशान रहे. स्थिति ऐसी थी कि वाहन चालक आगे नहीं बढ़ने की स्थिति में पीछे से निकलना चाह रहे थे, पर यह संभव नहीं हो पा रहा था.
लगभग दो किलोमीटर में जाम से लोग कराह रहे थे. काफी मशक्कत के बाद जाम से मुक्ति मिल पायी. शहरवासियों को जाम की समस्या से मुक्ति नहीं मिल पा रही है. प्रतिदिन इस समस्या से लोगों को जूझना पड़ रहा है. शहर की एक भी ऐसी सड़क नहीं है, जहां जाम की समस्या से लोगों को परेशानी नहीं होती हो. सभी सड़कें जाम की समस्या से कराहती रहती हैं. दशकों वर्ष पुरानी सड़कों पर वाहनों में बेतहाशा वृद्धि व जनसंख्या की मार से ट्रैफिक वॉल्यूम की स्थिति ऐसी है कि सड़कें इनका भार ढोने में विफल साबित हो रही है. नगर की प्रमुख सड़कों के साथ कई बार मुहल्लों की सड़कें भी जाम हो जाती हैं.सड़क पर दौड़ती नहीं, रेंगती हैं गाड़ियां
जाम की स्थिति ऐसी है कि नगर की सड़कों पर गाड़ियां दौड़ती नहीं है, बल्कि रेंगती हैं .इस कारण लोगों को अपने गंतव्य पर पहुंचने में काफी समय लगता है .मिनटों की दूरी तय करने में लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है. इससे काफी परेशानी होती है. लोगों के कई काम समय बर्बादी के कारण नहीं हो पाते हैं.इसकी वजह से शहर के दुकानदार, व्यवसायी, पैदल चलनेवाले लोग, वाहन चालक परेशान होने को विवश हो रहे हैं. जाम की वजह से स्कूली वाहन, एंबुलेंस भी घंटों तक फंसे रहते हैं, इस कारण काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. लेकिन इस दिशा में जिला प्रशासन किसी तरह का निर्णायक समाधान नहीं कर रहा है. नगर निगम प्रशासन भी कोई ध्यान नहीं दे रहा है. जिला प्रशासन व नगर निगम प्रशासन की उदासीनता की वजह से जाम की समस्या दिनों दिन विकराल रूप धारण कर रही है. लोगों का कहना है कि नगर निगम क्षेत्र में रहते हैं. लेकिन नगर निगम जैसी कोई सुविधा निगम प्रशासन व जिला प्रशासन की ओर से मुहैया नहीं कराया गया है. निगम प्रशासन बस खानापूर्ति का काम कर रहा है.सड़कों पर सजती हैं दुकानें
नगर की सभी प्रमुख सड़कों सहित अन्य सड़कों पर भी प्रतिदिन दुकानें सजाई जाती हैं. जेल रोड, बिचली रोड, महादेवा, गोपाली चौक, शीशमहल चौक, सब्जी गोला, स्टेशन रोड, रामगढ़िया रोड, पकड़ी चौक, सिंडिकेट, स्टेशन रोड सहित अन्य जगह पर सड़क के दोनों किनारों पर दुकानदारों ने कब्जा जमा लिया है. दुकानदार अपनी सामानों को फुटपाथ पर सजाकर रखते हैं. यूं कहें तो आधा दुकान फुटपाथ पर ही चलाते हैं. सकरी सड़कें और भी सकरी हो जाती हैं. इससे पैदल चलनेवाले यात्री मजबूरन सड़क पर चलने को विवश होते हैं. वहीं पैदल चलनेवाले लोग आसानी से अपने काम के लिए गंतव्य स्थान तक समय पर नहीं पहुंच पाते हैं.नगर में नहीं है पार्किंग, ट्रैफिक व्यवस्था है ध्वस्त
नगर में कहने को तो ट्रैफिक व्यवस्था है. ट्रैफिक थाना भी कार्य कर रहा है, पर केवल दिखावे के लिए है. चौक-चौराहों पर खड़े ट्रैफिक पुलिस के जवानों द्वारा जाम की समस्या को दूर करने में कोई खास भूमिका का निर्वहन नहीं किया जाता है. प्रशिक्षित ट्रैफिक पुलिस के जवानों का नितांत अभाव है. वहीं नगर में कहीं भी पार्किंग की व्यवस्था की गयी है. जबकि, नगर निगम द्वारा प्रतिवर्ष वित्त बजट के समय पार्किंग स्थल को चिन्हित कर पार्किंग की व्यवस्था करने की बात कही जाती है, पर ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है. इससे जाम की समस्या वर्षों से विकराल बनकर प्रशासन, नगर निगम व जिलावासियों के सामने चुनौती दे रही है.
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