कोईलवर.
सावन में शिवभक्ति की बयार चहुंओर बह रही है. लोग शिवभक्ति में लीन हैं. हर तरफ बोलबम और हर-हर महादेव के नारे गुंजायमान हैं. ऐसे में कोईलवर के सोन नदी तट पर विराजमान बाबा दिनेश्वरनाथ धाम की महत्ता भक्तों को बरबस ही अपनी ओर खींच लाती है. राष्ट्रीय राजमार्ग व रेलवे स्टेशन से महज 100 मीटर की दूरी पर अवस्थित यह मंदिर शिवभक्तों के लिए पहली पसंद है. सोन नदी के किनारे अवस्थित होने के कारण यहां की आबोहवा, सोन नदी की निर्मल व कलकल धारा, दूर तक फैली रेत तथा मंदिर प्रबंधन द्वारा उपलब्ध करायी गयी बेहतर व्यवस्था यहां आनेवालों को और लुभाती है.….फिर नहीं उठी प्रतिमाकरीब दो दशक पहले गोरैया स्थान घाट पर किसी दूसरे स्थान से पूजा के बाद विसर्जन के लिए देवी देवताओं की प्रतिमा लायी गयी थीं, जिनमें एक प्रतिमा भगवान भोलेनाथ की भी थी. विसर्जन के लिए सभी मूर्तियों को वाहन से नीचे उतार पूजा आरती कर बारी-बारी से सोन नदी की धारा में विसर्जित किया जाने लगा. जब बाबा भोलेनाथ की प्रतिमा के विसर्जन की बारी आयी, तो बाबा की प्रतिमा उठी ही नहीं. घंटों के अथक प्रयास के बाद भी जब प्रतिमा टस से मस नहीं हुई, तो भक्तों ने उन्हें वहीं छोड़ दिया. काफी दिनों तक धूप और बरसात में रहने के कारण मिट्टी की प्रतिमा खराब हो गयी, जिसके बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं, स्थानीय नागरिकों व सोन नदी में बालू निकालने का काम करनेवाले मजदूरों व नाविकों के सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया गया, जहां भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती के साथ-साथ बजरंग बली व राम दरबार की प्रतिमा भी स्थापित की गयी. श्रद्धालुओं में है आस्थासावन महीने में शिवभक्तों का यहां रेला उमड़ पड़ता है. भक्त सोन नदी की निर्मल जलधारा में स्नान कर भगवान भोलेनाथ को जल अर्पित करते हैं. वहीं, कुछ भक्त मंदिर से उतर पूर्व कोने पर स्थित गंगा, सोन और सरयू के संगम से कांवर में जल भर कर 20 किलोमीटर की दूरी तय कर बाबा को अर्पित करते हैं. भक्तों कि मानें तो बाबा उनकी हर मन्नत पुरी करते हैं.यहां खूब होती हैं शादियांलगन के मौसम में गोरैया घाट स्थित बाबा दिनेश्वरनाथ मंदिर में प्रत्येक दिन दर्जनों जोड़े परिणय सूत्र में बंधकर एक दूसरे के साथ जीने मरने की संस्कारों से पूर्ण होते हैं. बाबा मंदिर के पुरोहित की मानें तो यहां एक दिन में तीन तीन दर्जन तक शादियां हुई हैं. मंदिर प्रबंधक की माने तो मंदिर में अतिथियों के लिए हर प्रकार की व्यवस्था की गयी है, ताकि यहां आनेवाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो. साथ ही बताया कि यहां परिणय सूत्र में बंधने वाले प्रत्येक जोड़े का निबंधन किया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है