आरा.
आरा नगर में चातुर्मास के लिए पधारे क्रांतिकारी विचारक परम पूज्य मुनि श्री 108 विशल्य सागर महाराज ससंघ का भव्य आगवानी श्री दिगंबर जैन समाज के द्वारा किया गया. सुबह में श्री जैन बाला विश्राम प्रांगण से मुनिसंघ को आरा नगर में ले जाने के लिए सैकड़ों की संख्या में भक्त पहुंचे. वहां से गाजे-बाजे के साथ एक बड़ी शोभायात्रा निकाली गयी. इसमें जैन बाला विश्राम छात्राएं, बच्चें, युवा, पुरुष एवं महिलाएं शामिल थे. भक्त जैन प्रतीक वाली अंगवस्त्र धारण कर मुनिश्री का जयकारा लगाते हुए आरा नगर पहुंचे. आरा नगर स्थित भगवान महावीर स्वामी जल मंदिर में मुनिसंघ का भव्य आगवानी जैन समाज के द्वारा किया गया. शोभायात्रा श्री दिगंबर जैन चंद्रप्रभु मंदिर प्रांगण में पहुंची. मीडिया प्रभारी निलेश कुमार जैन ने बताया कि चातुर्मास के लिए मुनिसंघ की आरा नगर प्रवेश के कार्यक्रम में भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतों से भक्तगण शामिल हुए. दोपहर समय में गुरुपूर्णिमा का भव्य कार्यक्रम आयोजित था. इसमें 11 विशिष्ट द्रव्यों से भक्तों द्वारा मुनिश्री का पूजन, प्रक्षालन, शास्त्र भेंट किया गया. सांस्कृतिक कार्यक्रम में समाज के बच्चों के द्वारा अनेक भक्ति भजन, नृत्य का आयोजन हुआ. मुनिश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को अपने प्रवचन में बोले कि आरा अनेक अतिशयकारी मंदिरों की नगरी है. आरा का नाम मैंने बहुत सुना था, वैसा ही मैंने आकर महसूस किया. उन्होंने बताया कि आरा में अनेक साधुओं का प्रवास एवं चातुर्मास संपन्न हुआ है. इसबार धर्मनगरी आरा में मेरा चातुर्मास होना निश्चित हुआ है. चातुर्मास समय में आध्यात्मिक जागृति और आत्म-साधना के लिए उत्तम माना जाता है. पंचायती मंदिर के सचिव डॉ आदित्य विजय जैन ने बताया कि किसी नगर में साधु का चातुर्मास होना नगर एवं समाज के सौभाग्य का प्रतीक है. संध्या समय में गुरुभक्ति, आरती, भजन, व्यावृत्ति का कार्यक्रम आयोजित हुआ. इस अवसर पर श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर के पदाधिकारी, सदस्यों के साथ सैकड़ों की संख्या में भक्तगण शामिल थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है