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50 वर्षों के बाद अपनी जिम्मेदारियां नयी पीढ़ी को सौंपना चाहिए : जीयर स्वामी जी महाराज

परमानपुर चातुर्मास्य व्रत स्थल पर कथा सुनने के लिए जुट रही भीड़

आरा.

परमानपुर चातुर्मास्य व्रत स्थल पर भारत के महान मनीषी संत लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि 50 वर्षों के बाद अपनी जिम्मेदारियां धीरे-धीरे युवा पीढ़ी को देनी चाहिए व उनके कार्यों का निरीक्षण करना चाहिए. इस तरह आप अपने बच्चों को जिम्मेदारियां निर्वहन करने के लिए उचित मार्गदर्शन दे सकेंगे. इससे उन्हें घर, परिवार, गृहस्थी चलाने में आसानी होगी. ऐसा शास्त्रों ने कहा है. इससे माता-पिता की मर्यादा बनी रहेगी.

द्वापर युग में पांचों पांडव के द्वारा राजा परीक्षित को राजा बनाकर राजकाज की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी सौंप दी गयी. स्वामी जी ने कहा माता-पिता को चाहिए कि उनके जितने भी लड़के हैं, उन सभी लड़कों के साथ समानता का भाव रखें, ताकि परिवार में बच्चों में आपस में सामंजस्य बना रहे. पुत्र का विचार, व्यवहार, आहार एक जैसा न हो तब भी माता-पिता का यह धर्म है कि वह अपने बच्चों के साथ एक जैसा व्यवहार, आचरण, धन, संपत्ति का अधिकार दें. कुछ माता-पिता अपने बच्चों के साथ सामान व्यवहार नहीं रखते हैं. जो बच्चा अधिक गुणवान होता है, उससे थोड़ा अधिक स्नेह रखते हैं, लेकिन परिवार समाज में बेहतर सामंजस्य के लिए सभी पुत्रों के साथ समान भाव माता-पिता को रखना चाहिए. धृतराष्ट्र ने पुत्र मोह में पड़कर कौरव वंश परंपरा को खत्म कर दिया. उन्होंने कहा कि कौरव और पांडव के युद्ध के 35 वर्षों के बाद 36वें वर्ष में जब श्री कृष्ण द्वारकापुरी लौट गये. उसके बाद जब छह महीना तक श्रीकृष्ण की कोई सूचना हस्तिनापुर में धर्मराज युधिष्ठिर को नहीं हुआ. तब उनके मन में कई प्रकार के अशुभ विचार आने शुरू हुए. उनका मन काफी उदास रहता था. एक दिन अर्जुन ने धर्मराज युधिष्ठिर से पूछा भैया आप क्यों उदास हैं. तब धर्मराज युधिष्ठिर ने अर्जुन से कहा, अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण को गये कई महीना हो गया. अभी तक उनका कुछ समाचार प्राप्त नहीं हुआ. इसीलिए मन में कई प्रकार के अशुभ विचार आ रहे हैं, जिसके बाद युधिष्ठिर जी के द्वारा अर्जुन को द्वारकापुरी भेजा गया. अर्जुन द्वारकापुरी चले गये. जाने के बाद लगभग कई महीना बीत गया, तब तक अर्जुन भी वापस लौटकर नहीं आये. इधर महाराज युधिष्ठिर के मन में काफी हलचल हो रही थी. शास्त्रों में बताया गया है कि जब कौवा, गिद्ध किसी व्यक्ति के माथे पर बैठ जाये, सिर पर बैठकर बार-बार चोंच मारता हो, तो समझना चाहिए कि कुछ अशुभ घटना घटने वाली है. रास्ते में कुत्ता सामने रोता हुआ दिखाई पड़ता हो या ऊपर की तरफ मुंह करके रो रहा हो, यह भी अशुभ संकेत का सूचक है. उन्होंने भगवान श्रीकृष्णा द्वारकापुरी एवं कौरव पांडव से जुड़ी कई तथ्यों का वर्णन करते हुए इससे संदेश लेने की बात कही.

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