आरा.
गुरु पूर्णिमा पर जिले में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किये गये. सुबह से ही गुरु पूर्णिमा उत्सव एवं गुरु दक्षिणा देने की आस्था रही. पुरुष व महिला नये-नये वस्त्र पहनकर मंदिरों में पूजा करते दिखाई दिये. वहीं अपने गुरुजनों का आशीर्वाद पाने के लिए भी उनके पास पहुंचे. कई गुरु भी अपने शिष्यों को आशीर्वाद देने के लिए उनके स्थान पर पहुंचे. पूरा माहौल अध्यात्ममय दिखाई दे रहा था. सामाजिक, धार्मिक संगठन, विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय में कार्यक्रमों की धूम रही. वैदिक संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का महत्वपूर्ण स्थान है.शिक्षण संस्थानों में आयोजित किया गया गुरु पूर्णिमा उत्सव
सरकारी विद्यालयों सहित निजी विद्यालयों में भी गुरु पूर्णिमा उत्सव का आयोजन किया गया. इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने अपने गुरुजनों को प्रणाम किया तथा गुरुओं ने उन्हें आशीर्वाद दिया. जीवन में सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते रहने की बात कही. इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. इस दिन माता-पिता बड़ों और गुरु का आशीर्वाद लेने का महत्व है. गुरु ही अंधकार से उजाले की ओर ले जाते हैं. गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए यह दिन समर्पित है.सामाजिक, धार्मिक संगठनों ने भी आयोजित किया कार्यक्रम
गुरु पूर्णिमा उत्सव को लेकर कई सामाजिक संगठनों एवं धार्मिक संगठनों ने भी कार्यक्रम का आयोजन किया इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने नगर सहित जिले में कई जगह गुरु पूर्णिमा उत्सव एवं गुरु दक्षिणा का कार्यक्रम आयोजित किया स्वयंसेवकों ने उत्साह के साथ इसमें भाग लिया वही पतंजलि संस्थान गायत्री परिवार बौद्ध परिवार जैन एवं सिख श्रद्धालुओं ने भी गुरु पूर्णिमा उत्सव पर कार्यक्रम का आयोजन किया तथा गुरु को अभिवादन किया. गुरु ही अंधकार से उजाले की तरफ ले जाते हैं. गुरु सिर्फ शिक्षक नहीं होते,जीवन पथ के मार्गदर्शक भी होते हैं.बिना गुरु के कुछ भी संभव नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है