आरा. केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान, नमामि गंगे और प्रदेश सरकार के लोहिया स्वच्छ मिशन के तहत नगर में सफाई व्यवस्था को सुधारने और गंदगी से मुक्ति दिलाने के लिए नगर निगम द्वारा चलंत शौचालय खरीदे गये थे, लेकिन नगर निगम की लापरवाही के कारण इनका उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया. अब ये शौचालय खुद ही गंदगी में तब्दील होकर सड़कों के किनारे खड़े हैं. इससे स्वच्छता अभियान की योजना विफल होती दिख रही है और नगरवासियों में काफी नाराजगी है. सरकार का उद्देश्य था कि घनी आबादी वाले क्षेत्र जैसे बाजार, बस पड़ाव, सब्जी मंडी आदि स्थानों पर चलंत शौचालय लगाये जाएं, ताकि नगरवासियों को खुले में शौच न जाना पड़े, लेकिन नगर निगम की उदासीनता ने इस योजना पर पानी फेर दिया.
20 चलंत शौचालयों की हुई थी खरीदारी
नगर निगम ने 20 चलंत शौचालयों की खरीदारी की थी, जिससे सार्वजनिक स्थलों पर लोगों को सुविधा मिल सके. बेघर लोगों, मजदूरों, रिक्शा चालकों और ठेला चालकों को इसका अधिक लाभ मिलना था.65 लाख में खरीदा गया था एक शौचालय
नगर निगम ने एक करोड़ 30 लाख रुपये खर्च कर 20 चलंत शौचालय खरीदे थे. एक शौचालय की कीमत 65 लाख रुपये थी. प्रारंभ में सभी आवश्यक सुविधाएं जैसे पानी की टंकी और हाथ धोने के लिए साबुन आदि की व्यवस्था की गयी थीं, लेकिन एक सप्ताह बाद ही इन शौचालयों की हालत लावारिस जैसी हो गयी. नगर निगम ने इनकी देखभाल पर ध्यान नहीं दिया. नगरवासियों का मानना है कि नगर निगम के अधिकारी और कर्मियों ने इस खरीदारी में विशेष रुचि दिखाई थी, लेकिन इसके बाद वे इसे भूल गये. यही कारण है कि भारी-भरकम धनराशि खर्च होने के बावजूद जनता को इसका कोई लाभ नहीं मिल पाया.शादी-विवाह के लिए भी उपलब्ध कराये जाने थे शौचालय
चलंत शौचालयों का एक अन्य उद्देश्य था कि शादी-विवाह या अन्य बड़े आयोजनों में इन्हें बुक कराया जा सके. इससे सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी नहीं फैलती और खुले में शौच की समस्या खत्म होती, लेकिन नगर निगम द्वारा इस संबंध में कोई प्रचार-प्रसार नहीं किया गया, जिससे दो वर्षों में एक भी शौचालय की बुकिंग नहीं हो सकी.जर्जर स्थिति में हैं चलंत शौचालय
वर्तमान में ये चलंत शौचालय जर्जर हालत में हैं. शौचालयों में लगी पानी की टंकी खाली पड़ी है, सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है, और टायर फट चुके हैं या उनकी हवा निकल चुकी है. सफाईकर्मियों की कोई तैनाती नहीं है, जिससे इनका उपयोग असंभव हो गया है.स्क्रैप के रूप में बेचने पर हो सकता है लाभ
यदि नगर निगम इन चलंत शौचालयों को स्क्रैप के रूप में बेच दे, तो कुछ राजस्व प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन नगर निगम ने इस दिशा में भी कोई कदम नहीं उठाया है, जिससे सार्वजनिक धन की बर्बादी हो रही है. वर्तमान में ये शौचालय वीर कुंवर सिंह रमना मैदान, नगर निगम परिसर, पकड़ी में बीबी जान के हाता के पास, मिशन स्कूल के पास और अन्य कई स्थानों पर लावारिस हालत में खड़े हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है