आरा.
चातुर्मास व्रत स्थल परमानपुर में श्रीलक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने प्रवचन करते हुए लोभ और लाभ को समझाया. स्वामी जी ने कहा कि एक साधारण मानव से लेकर संत महात्मा तक का भी कोई ना कोई लोभ और लाभ जरूर है. उदाहरण देते हुए कहा कि संत महात्माओं को भी मोक्ष की प्राप्ति चाहिए. यह भी एक प्रकार से लाभ और लोभ ही है. जिस प्रकार से एक साधारण मानव जीवन में भी एक व्यक्ति को हर काम में कुछ न कुछ लोभ और लाभ की आशा रहता है, लेकिन लाभ और लाेभ की इच्छा रखते हुए स्वयं विवेक का भी उपयोग करना चाहिए. स्वामी जी ने कथा पर भी विस्तार से चर्चा की, जिसमें कथा का महत्व एक उदाहरण देकर समझाए. स्वामी जी ने कहा कि कथा एक ऐसा माध्यम है, जिससे समाज के हर एक प्राणी के मन मस्तिक दिमाग बुद्धि को शुद्ध करता है. कथा कर्म को सुधरता है. उदाहरण देते हुए एक अपराधी जो बार-बार गलत काम करता है, जिसको पकड़ने के लिए सरकार उपहार की भी घोषणा करती है. फिर वह अपराधी पकड़ा जाता है. तब भी वह अपराध करना नहीं छोड़ता है. जबकि कथा एक ऐसा माध्यम है, जिससे किसी व्यक्ति के जीवन में यदि गलत आचरण विचार बुद्धि रहता है, तो उसे संत महात्मा कथा के माध्यम से अपराध और अपराधी की वृत्ति को समाप्त करा देते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है