आरा/शाहपुर.
जवइनिया गांव अब कब इतिहास बन जाये कहा नहीं जा सकता. गांव के गंगा नदी में विलीन होने के बाद बस बात रह जायेगी एक था जवइनिया गांव ! लोग अपने अगली पीढ़ी को गांव की हृदयविदारक घटना की कहानी सुनायेंगे. घरबार व जमीन गंगा नदी में समाहित होने के बाद लोग अब विस्थापन की जिंदगी जीने को विवश हैं. कटाव का कष्ट असहनीय दर्द दे रहा है, जिस घर के आंगन में अपनों के साथ खेला, बड़ा हुआ सबकुछ एक झटके में खत्म. गंगा नदी के यह विनाशकारी लीला लोगों को सदियों तक टिस देता रहेगा. पिछले एक सप्ताह से जवइनिया गांव में कटाव के कारण मकान का पानी में सामने का सिलसिला जारी है. हालांकि कटाव की गति में थोड़ी कमी देखी जा रही है, लेकिन ग्रामीणों के अनुसार पूरा गांव कटाव की चपेट में आ चुका है. जमीन के नीचे से गंगा नदी पूरी तरह से मिट्टी खाली कर चुकी है. बस ऊपरी भाग का गिरना बाकी है, जो तय माना जा रहा है. गांव का वार्ड संख्या चार व पांच लगभग जलप्लावित हो चुका है. सैकड़ों परिवार विस्थापित हो चुके हैं. कुछ नाते रिश्तेदारों के पास तो कुछ सरकारी शरण स्थलों में शरण लिए हुए हैं. कुछ तो स्वयं से सवाल पूछ रहे हैं अब कहां है तेरा ठिकाना. बेचारे बेघर विस्थापितों का कोई ठिकाना भी तो नहीं. आखिर वो किसी को अपना पता क्या बताएं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है