आरा.
अभी जून का महीना चल रहा है. पूरे जिले में अभी भीषण गर्मी एवं तपीश है. पिछले एक सप्ताह से भीषण गर्मी से लोग परेशान हैं. इस तपीश भरी गर्मी में भी छात्रों का समूह विश्वविद्यालय में आ रहा है. बता दें कि शाहाबाद का इकलौता वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय है, जहां हर दिन सासाराम, भभुआ, बक्सर, बिक्रमगंज आदि जगहों से अपने कामों को लेकर लोग आते रहते हैं. विश्वविद्यालय में काम करनेवाले क्लर्क से लेकर छोटे कर्मचारियों का आना होता है, लेकिन इस गर्मी में विश्वविद्यालय के नूतन परिसर में पेयजल की गंभीर संकट है. वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के नूतन परिसर में प्रवेश करते ही कुछ दूरी पर परीक्षा विभाग के बाहर एक चापाकल है. वो भी धूप में है. विश्वविद्यालय के इतने बड़े परिसर में पेयजल की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. अपने काम के सिलसिले में दूर-दराज से आने वाले छात्र-छात्राओं अपनी प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. सक्षम लोग तो बोतलबंद पानी खरीद कर पी लेते हैं, पर गरीब-छात्र-छात्राओं समेत अन्य तबके के लोगों को अत्यधिक परेशानी उठानी पड़ रही है. ऐसे लोगों को चापाकल या अन्य पेयजल की व्यवस्था पर ही निर्भर रहना पड़ता है, पर अब तक ऐसी व्यवस्था विवि परिसर में नहीं दिख रही है.पेयजल को लेकर छात्र संघ ने जतायी नाराजगी
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के न्यू परिसर में मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है. भीषण गर्मी में पानी के लिए दर-दर भटक रहे छात्र और विश्वविद्यालय के कर्मी विश्वविद्यालय प्रशासन से मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने में बिहार के प्राथमिक विद्यालय से भी पीछे मान रहे हैं. छात्र संगठन आइसा पिछले दिनों पांच जून को विश्वविद्यालय के समक्ष 17 सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन किया था, जिसमें विश्वविद्यालय परिसर में पेयजल की व्यवस्था करने की भी मांग थी. विश्वविद्यालय के कुलसचिव और कुलानुशासक ने 10 दिनों के भीतर पेयजल की व्यवस्था करने का वादा किया था, लेकिन कई दिन बीत गये पेयजल के दुःख दूर नहीं हुए. इस भीषण गर्मी में अगर पानी के अभाव के चलते कोई भी घटना होती है, तो उसका जिम्मेवार विश्वविद्यालय प्रशासन होगा. विकास कुमार (आइसा )वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में प्रतिदिन हजारों विद्यार्थियों का आना-जाना होता है, लेकिन आज विश्वविद्यालय में मूलभूत सुविधाओं के नाम पर इस भीषण गर्मी में पानी पीने को एक चापाकल भी नहीं है. छात्रों को पानी पीने के लिए विश्वविद्यालय में दरबतर भटकना पड़ता हैऋतुराज (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद)डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है