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पानी का किल्लत को लेकर पीएचइडी कर्यालय के समक्ष ग्रामीणों ने किया आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन

भूगर्भ जलस्तर लगातार तेजी से खिसकने के वजह से तरारी में मार्च माह के शुरुआत होते हीं दर्जनों घरों के चप्पा कल सुख गया है. स्थानीय पीएचडी की लापरवाही से प्रशासन के खिलाफ ग्रामीणों में भारी आक्रोश व गुस्सा भर गया है.

तरारी. भूगर्भ जलस्तर लगातार तेजी से खिसकने के वजह से तरारी में मार्च माह के शुरुआत होते हीं दर्जनों घरों के चप्पा कल सुख गया है. स्थानीय पीएचडी की लापरवाही से प्रशासन के खिलाफ ग्रामीणों में भारी आक्रोश व गुस्सा भर गया है. शनिवार को लोगों ने पीएचइडी व प्रशासन के आलसी रवैया व मनमानी के विरुद्ध आरपार के संघर्ष करने को मूड बना जलमीनार कार्यालय घेराव कर आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया गया. इस दौरान पीएचडी अधिकारियों व बीडीओ, सीओ के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गयी. समाजसेवी सोनू सिंह ने बताया कि तरारी गांव के वार्ड एक, दो व तीन में दर्जनों ग्रामीणों के घर का चापाकलों से मार्च माह से हीं पानी निकलना कम हो गया है. बार बार स्थानीय अधिकारियों से हाथी पाव कल व पीएचइडी जलमीनार से पानी सप्लाई किये जाने की मांग की जा रही है. लेकिन अधिकारियों का मनमानी आसमान पर चढण गया है और समस्या को नजरअंदाज कर बेपरवाह बने हुए हैं. लोग पडोस के मुहल्ले से पीने के लिए पानी ढोने की बाध्यता है. नहाने के लिए तो काफी फजीहत झेलनी पड रही है. तरारी में लग्न व शादी को ले लोगों के घर रिश्तेदार भी काफी संख्या में आये है. वार्ड संख्या एक ,दो ,तीन के सीमावर्ती गांव के गढ़ क्षेत्र में अतिथि भी पीने की पानी के लिए तरस जा रहे हैं. बबन सिंह, मनोज सिंह,राजेश सिंह ने बताया कि पुत्री की शादी में शामिल होने काफी रिश्तेदार आये हैं. चापाकल सूखने से पानी के लिए परेशानी उठानी पड़ रही है. वहीं शैलेश सिंह, ललन सिंह, गोरख सिंह, बम सिंह, चंदन बबुआन, बबलू सिंह, अमलेश सिंह, भिखारी पासवान, मलू पासवान, अमर दयाल महतो, राम मुनी साह, बिहारी प्रसाद, नारद ठाकुर, बिनोद लाल, मदन शर्मा सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि प्रखंड परिसर में बीस पच्चीस वर्ष पहले से हीं पीएचइडी का जलमीनार व कार्यालय करोड़ों रुपये खर्च कर निर्माण हुआ है. तरारी गांव के पांचों वार्ड में करीब तीन हजार मतदाताओं सहित सात हजार जनसंख्या को पीने के लिए नल की शुद्ध पानी की आपूर्ति पीएचडी के जिम्मे सौंपी गयी है. गांव में वार्ड क्रियान्वयन समिति को नलजल योजना से दरकिनार किया गया था. विभाग के ओर से पांच वर्ष पहले हीं गांव के गलियों का पीसीसी तोड पानी पाइप बिछायी गयी है. कहीं कहीं गली में व ग्रामीणों के घर टोंटी भी लगाया गया है. लेकिन अब तक पीएचडी के टोंटी से किसी के घर एक बूंद भी पानी नही टपका है. खानापूर्ति के लिए पानी टंकी की मशीन चलाया जाता है. लेकिन तरारी बाजार चौक,बिहिया नहर पुल, ब्लॉक गेट समीप पाइप फट कर रोड के नीचे उबाल भरी पानी बहने लगता है. साथ हीं रोड पर जलजमाव व कीचड़ हो जाया करता है. शिकायत करने पर आननफानन में बार बार मरम्मत करने के बावजूद भी आलम यही रहता है. पीएचडी संवेदक ने बताया कि गांव के कुछ मुहल्ले उच्चे पर बसे है. वहां तक पानी पहुंचने से पहले हीं प्रेशर से पाइप फट रहा था. ऐसे में वार्ड एक, दो, तीन व दस के बिंदटोली के समीप हीं बोरिंग कर मोटर लगाने की जरुरत है. समस्या के समाधान के लिए विभाग से मांग की गई है. स्वीकृति मिलते बोरिंग कर जरूरतमंद मुहल्ले में पानी सप्लाई सुनिश्चित होगी. बबन सिंह ने बताया कि कई ग्रामीण समीप के दूसरे मुहल्ले से बाल्टी में भर कर पीने की पानी लाने को मजबूर है. कई घंटो से रखा गया पानी पिने की बाध्यता है. देर की पानी पीने से रोगी होने के खतरा भी मंडराने लगा है. शैलेश सिंह की पत्नी बबिता देवी, बिनोद उपध्याय की पत्नी कोमल देवी पूर्व पंस सदस्य उमरावती देवी, पंचायत की उप मुखिया सबिता देवी ने बताया कि दर्जनों घरों का चप्पा कल कुछ देर पर पानी छोड़ दे रहा है. घंटे भर कड़ मशक्कत के साथ कल चलाने पर पानी पकडता भी है. बाल्टी भरना महिलाओं की बुते की नहीं है. पांच से दस बार कल का हैंडल काफी जोर लगाकर दबाने पर चुल्लू भर पानी मुश्किल से गीरता है. अपने घर का कल चलाकर नहाने व कपड़े धोने के क्रम में हाथों व कमर में दर्द हो जाया करता है. बीच बीच में हांफ मिटाना पड़ता है।ग्रामीणों के घर लगी शादी में शामिल होने आई कई महिलाएं तो दो दिन अधिक ठहरने व स्नान करने से हाथ खडा कर बगैर नहाय खाये ही पानी की व्यवस्था को कोसते हुए वापस अपने चली गयी. बार बार दूसरे के घर पानी लाने जाने पर कल वालों की नाराजगी भी सहना पड़ रहा है. समस्या की तत्काल निजात के लिए मुहल्ले में सर्वजनिक जगहों पर हाथीपांव कल गाड़ने की अनिवार्यता है. तरारी निवासी नब्बे वर्षीय बुजुर्ग किसान कमला सिंह ने बताया कि जवानी के दिनों में मात्र दस से बारह फूट कुंआ खोद खेतों की सिंचाई करते थे. पंद्रह बीस वर्ष पहले तक गांव का आहर फाल के गड्ढा में मछली मारने के लिए एक साथ आधा दर्जन पम्प सेट सप्ताह भर चलाने के बावजूद भी सूखता नहीं था. पम्पसेट चलाने के दौरान गड्ढे में थोड़ी पानी कम होने पर चारों ओर काफी तेजी पानी का रिसाव होते स्पष्ट नजर आता है. जेठ के दिनों में महादेवपुर, पनपुरा, महेशडीह, ढोंढनडीह, सारा,अक्रौंज, खेलडिया, बाडकागांव, सैदनपुर, तिरोजपुर, भोपतपुर,सीमावर्ती रोहतास जिले निरंजनपुर सहित कई गावों के पशुपालक अपने पशु चराने के उपरांत अपने पशुओं हांक कर तरारी के आहर फाल व साईफन फाल के गड्ढे में पानी पिलाने लाते थे, लेकिन अब फरवरी मार्च आते ही गड्ढे की पानी सूख जा रहा है. शायद ये घटना भूगर्भ जलस्तर खिसकने का हीं प्रमाण है.

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