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श्रीकृष्ण अवतार की कथा सुनकर भाव-विभोर हुए श्रद्धालु

प्रखंड क्षेत्र के डंडारी दुर्गा स्थान के में चल रहे श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा के चौथे दिन वृंदावन धाम से आए हुए सुप्रसिद्ध कथावाचिका व्यास वैदेही शरण जी ने के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के अवतार की कथा सुनाई .

डंडारी. प्रखंड क्षेत्र के डंडारी दुर्गा स्थान के में चल रहे श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा के चौथे दिन वृंदावन धाम से आए हुए सुप्रसिद्ध कथावाचिका व्यास वैदेही शरण जी ने के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के अवतार की कथा सुनाई . कथावाचिका ने भगवान श्रीकृष्ण के अवतार कि कथा सुनाते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण के प्रथम स्कन्ध के पहले अध्याय के पहला श्लोक जन्माधसय यानी ज शब्द जो व्यंजन के आठवें अक्षर से प्रारंभ होता है. जो स्पष्ट घोषणा बताता है कि श्रीमद्भागवत महापुराण में भगवान श्रीकृष्ण का हीं चरित्र विस्तार पूर्वक बताया गया है. डा.मनोहर मिश्र जी महाराज ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का आठ अंक से बहुत हीं गहरा संबंध है. इसलिए श्रीकृष्ण देवकी वसुदेव के आठवें संतान के रूप में अवतार लेते हैं साथ ही अष्टमी तिथी को अवतार लेते हैं. यह भी बताया कि सनातन धर्म में भगवान के मुख्य दस अवतार हैं. मत्स्यावतार, ,कच्छपावतार ,वाराहावतार, नरसिम्हावतार वामनावतार ,परशुरामावतार ,श्री रामावतार ,श्रीकृष्णावतार , बुद्धावतार ,और कल्कि अवतार इसमें भगवान श्रीकृष्ण आठवें अवतार हैं एवं भगवान श्रीकृष्ण के आत्मा हैं. श्री राधा रानी और राधा जी की आठ सखीयां हीं प्रधान हैं. श्रीकृष्ण को अष्टांग योग बहुत प्रिय है और द्वारिका लीला में आठ पटरानियां हीं प्रधान हैं. व्यास वैदेही शरण जी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के उपर अष्टधा प्रकृति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है क्योकि भगवान प्रकृति से परे एवं प्रकृति के नियामक एवं नियंता होते हैं. वहीं महाराज श्री ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के भक्ति करने से आठो प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती है. आज की कथा में गज ग्राह की अद्भुत कथा एवं समुद्र मंथन की कथा जीसमें देवता और दानव दोनों मिलकर समुद्र मंथन करते हैं जीसमें पहले हालाहल विष निकलता है. जो भगवान महादेव जी पान कर जाते हैं फिर अमृत की प्राप्ति होती है. जिसका पान करके देवता अमरत्व को प्राप्त करते हैं. इस कथा का तात्विक अर्थ बताते हुए महाराज श्री ने बताया कि मनुष्य का हृदय हीं समुद्र है और प्रत्येक मनुष्य के भीतर अच्छे विचार और बुरे विचार यही देवता और राक्षस हैं विचारों के मथानी चल रही है. अगर बुरे विचार जीत गए तो विष की प्राप्ति है और अच्छे विचार जीत गए तो यही अमृत की प्राप्ति है इसलिए प्रत्येक मनुष्य को चाहिए की अपने बुरे विचारों पर नियंत्रण रखे और अच्छे विचारों के द्वारा देश, धर्म और समाज की सेवा अपने मानव जीवन को सफल बनाते हुए इसी जीवन में भगवान श्री राधा कृष्ण की भक्ति करते हुए अपना कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर ले कथा के बीच बीच में महाराज श्री एवं भजन मंडली के द्वारा भागवत भजन कीर्तन से माहौल भक्ति मय हो गई. कथा के प्रारंभ में भागवत भगवान एवं महाराज श्री को माल्यार्पण कर स्वागत किया गया एवं भागवत महापुराण की भाव भरी आरती उतारी गई।और कथा को आकर्षक बनाने के लिए पूरे कथा पंडाल को पीले रंग के गुब्बारे से सजाया गया और भगवान श्री बाल कृष्ण की सुंदर झांकी भी निकाला गया. इस अवसर पर मुखिया प्रतिनिधि राजेश तांती, पूर्व मुखिया शिव शंकर यादव, मुकेश तांती, समाजसेवी मिथिलेश कुमार आदि सहित कथा सुनने के लिए भारी संख्या में स्त्री-पुरुष की भीड़ देखने को मिला.

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