डंडारी. प्रखंड सभागार डंडारी में शारदीय (खरीफ) महाअभियान 2025 का प्रखंड स्तरीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया. अध्यक्षता प्रखंड आत्मा अध्यक्ष सह प्रगतिशील किसान जयशंकर कुमार ने किया. कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन प्रखंड उपप्रमुख कैलाश यादव, जदयू प्रखंड अध्यक्ष मो. मंजूर आलम, आत्मा प्रखंड अध्यक्ष जयशंकर कुमार, प्रशिक्षु कृषि पदाधिकारी रौशन कुमार, प्रखंड उद्यान पदाधिकारी शंभू कुमार, बीटीएम ऋचा कुमारी आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रशिक्षु प्रखंड कृषि पदाधिकारी रौशन कुमार ने मिट्टी की गिरती उर्वरा शक्ति पर चिंता जताते हुए रासायनिक खादों के अत्यधिक प्रयोग से होने वाले नुकसानों की ओर किसानों ध्यान आकृष्ट कराया. वहीं जैविक खाद के उपयोग से मिलने वाले लाभों की जानकारी भी साझा किया. उन्होंने किसानों को सतर्क करते हुए रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से बढ़ रहे गंभीर बीमारियों का खतरा और पर्यावरण को होने वाले नुकसान से भी अवगत कराया. आत्मा प्रखंड अध्यक्ष सह प्रगतिशील किसान जयशंकर कुमार ने देशी गाय के गोबर, जैविक व हरित खाद के उपयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने पर वल दिया. साथ ही हवा में मौजूद 78% नाइट्रोजन का सही उपयोग करने और यूरिया जैसे रासायनिक उर्वरकों के संतुलित प्रयोग करने की भी किसानों से अपील की. कार्यक्रम में उन्नत बीज के साथ – साथ किसानों के बीच सरकारी अनुदान पर उपलब्ध होने वाले ढैंचा का बीज, शंकर धान हाई ब्रीड, अरहर प्रत्यरक्षण कीट, स्वीट काॅर्न, बेबी कॉर्न, मुख्यमंत्री तीब्र बीज विस्तार योजना बारे में विस्तार से जानकारी दी गई. इसके साथ ही अनुदानित दर पर के किसानों को मिलने वाले कृषि यंत्रों की भी जानकारी उपलब्ध कराया गया. किसानों को बताया गया कि अगर खेती में वैज्ञानिक पद्धति एवं यंत्रीकरण का अधिक से अधिक उपयोग किया जाता है तो कम लागत में किसानों को अधिक मुनाफा होगी. जो आपके आर्थिक समृद्धि बढ़ाने में सहायक होगें. इसके अलावे किसानों को सरकार के विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई. किसानों को प्राकृतिक खेती के दिए गए टिप्स : – प्रखंड आत्मा अध्यक्ष सह प्रगतिशील किसान जयशंकर कुमार एवं किसानश्री राजाराम यादव ने किसानों को प्रकृति खेती के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती एक रसायन मुक्त कृषि प्रणाली है. जो भारतीय परंपराओं से निहित है. इसे कृषि पारिस्थितिकी आधारित विविधतापूर्ण खेती प्रणाली भी कहा जाता है. जो फसलों, पेड़ों और पशुधन को कार्यात्मक जैव विविधता के साथ एकीकृत करती है. इसके माध्यम से किसानों को स्वास्थ्य फसल की उत्पत्ति होती है. अधिक से अधिक मात्रा में जैविक खाद्य के उपयोग के साथ – साथ प्रकृति खेती को अपनाकर स्वास्थ्य देश बनाने और बीमारी दूर भगाने की भी अपील की. मौके पर राजद प्रखंड अध्यक्ष सह बांक पंचायत के मुखिया अमरजीत सहनी, कृषि समन्वयक प्रभात कुमार, रणवीर कुमार, ऋचा कुमारी, प्रखंड तकनीकी सहायक मनीष कुमार, किसान सलाहकार अमित कुमार, संजीव कुमार, सचिन कुमार, गिरीश कुमार, सुजीत दास, महानंद भारती, मनोज कुमार, पंसस पारस साह, प्रतिनिधि संजय यादव आदि सहित सैकड़ों की संख्या में किसान मौजूद थे.
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