चंद्रप्रकाश आर्य/ Bihar News: बगहा. नेपाल गंडक पश्चिमी नहर सिंचाई व्यवस्थापन कार्यालय के प्रमुख तिलकराम बुधाथोकी ने बताया कि 43 वर्ष पुराने नेपाल गंडक पश्चिमी नहर की सिंचाई क्षमता 8700 हेक्टेयर क्षेत्रफल का है. लेकिन नहर में बालू के जम जाने से क्षमता अनुसार संचालन नहीं हो पा रहा था. जिसके कारण अपनी क्षमता के 20 प्रतिशत क्षेत्र में ही सिंचाई हो पा रहा था. क्षेत्र के किसानों को अपने खेत में सिंचाई के लिए भरपूर पानी नहीं मिलने के कारण इसकी शिकायत बार-बार विभाग से किया जा रहा था, जिसे देखते हुए नवल-परासी के क्षेत्र नंबर एक के सांसद विनोद चौधरी द्वारा सरकार से पहल किया गया.
बहुत दिनों तक सिंचाई की समस्या से परेशान थे किसान
37 करोड़ 40 लाख 46 हजार की लागत से सेटलिंग बेसिन संरचना का निर्माण नेपाल सरकार द्वारा कराया गया. नहर के जीरो आरडी पर बना यह संरचना 30 महीना में बनकर तैयार हुआ है. संरचना के निर्माण हो जाने से सुस्ता, प्रतापपुर, सरावल तथा पालही नंदन गांव पालिका के किसान लाभान्वित होंगे. वहीं सेटलिंग बेसिन संरचना का उद्घाटन करते हुए ऊर्जा तथा सिंचाई मंत्री खड़का ने कहा कि पश्चिमी नवल-परासी के नागरिक के डुबान तथा कटान और सिंचाई की समस्या के समाधान के लिए वह प्रतिबद्ध है. पश्चिम नवल-परासी के किसान बहुत दिनों तक सिंचाई की समस्या से परेशान थे.
नहर में बालू की जमा होने पर लगेगा रोक
नेपाल गंडक नहर में संरचना के निर्माण हो जाने से नहर में बालू की जमा होने पर रोक लगेगा. जिससे निश्चित रूप से अब उनकी खेतों तक पानी आसानी से पहुंचेगा. वहीं सांसद चौधरी ने बताया कि प्रत्येक वर्ष बरसात के समय यहां के किसान डुबान तथा कटान की समस्या से प्रभावित होते है. इसके लिए दीर्घकालीन समाधान की जरूरत है. इसके लिए नेपाल तथा भारत के बीच किए गए 65 वर्ष पहले ऐतिहासिक गंडक परियोजना के समझौता को लेकर भारतीय पक्ष संग गंभीर संवाद की जरूरत है.