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Bettiah : नदी नालों भूमिगत जल दोहन पर पर्यावरण प्रेमी ने जताई चिंता

नदी नालों में बहाए जा रहे भूमिगत जल दोहन से पर्यावरण दुष्परिणाम से बचने की अपील किया है.

वाल्मीकिनगर गंडक बराज से दोन, त्रिवेणी व तिरहुत नहरों का पानी से किसानों के खेतों की होती सिंचाई

बगहा.

पर्यावरण प्रेमी गजेंद्र यादव ने किसानों को सिंचाई के लिए त्रिवेणी, दोन व तिरहुत नहरों में छोड़े गये पानी को विभागीय कुप्रबंधन को लेकर जिला पदाधिकारी व आपदा प्रबंधन विभाग पदाधिकारी से मिलकर समस्या को अवगत कराया और नदी नालों में बहाए जा रहे भूमिगत जल दोहन से पर्यावरण दुष्परिणाम से बचने की अपील किया है. पर्यावरण प्रेमी गजेंद्र यादव ने सिंचाई के लिए छोड़े गए नहरों के पानी को नदी नालों में बहाए जाने पर चिंता व्यक्त की है. इसको लेकर भविष्य में मानव जीव जन्तुओं को इसके होने वाले गंभीर दुष्परिणाम की आशंका जताई है.वही उन्होंने दिए पत्र में लिखा है कि पश्चिम चम्पारण में तिरहुत, त्रिवेणी एवं दोन, तीन बड़ी नहरों की व्यवस्था किसानों के सिंचाई के लिए किया गया है. बावजूद खेतों की सिंचाई अधिकतर भूमिगत जल के दोहन पर निर्भर है, जो गंभीर चिंता का विषय है. इसके परिणाम भविष्य में दुःखद होंगे. उक्त तीनों नहरों की उपवितरणियां वर्षों से रख रखाव, साफ सफाई एवं मरम्मती के अभाव में तथा इनपर अतिक्रमण किये जाने से विलोपित एवं सिंचाई के लिए अक्षम हो चुकी हैं.इसी तरह का अगर हाल रहा तो भविष्य में धान का कटोरा कहा जाने वाला यह जिला कहीं नक्शे से विलोपित नही हो जाये. इसे गंभीरता से लेते हुए इसका निदान एवं सार्थक पहल की जाए.ताकि किसानों को सिंचाई के संकट से बचाव किया जा सके.

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