हरनाटांड़. अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर बाघों के संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के लिए वाल्मीकि व्याघ्र आरक्ष के वनप्रक्षेत्रो में 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाया गया. वन प्रमंडल -2 के हरनाटांड़, गोनौली, मदनपुर, वाल्मीकि नगर, चिउटाहा वन प्रक्षेत्रों के विभिन्न विद्यालयों व जंगल से सीमावर्ती गांव से लेकर चौक चौराहों पर वन व वन्य जीवों की सुरक्षा व जागरूकता के साईकिल रैली निकाली गई. इस अवसर पर वीटीआर के वन संरक्षक सह क्षेत्रीय निदेशक डॉ. नेशामणी के ने कहा कि बाघ हमारे धरती के धरोहर है. इसे बचाना हम सबका कर्तव्य है. बाघ के बिना जंगल का कोई अस्तित्व नहीं है.हम सबको मिलकर जंगल व जंगल में रहने वाले बाघ समेत सभी वन्यजीवों को बचाना है. उन्होंने कहा कि विश्व बाघ दिवस के मौके पर वीटीआर के सभी वन क्षेत्रों में प्रभात फेरी निकाल तथा बच्चों द्वारा चित्रांकन, निबंध व विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित कर बाघों समेत जंगल व जानवरों की सुरक्षा व संरक्षण को लोगों के बीच संदेश पहुंचाया जा रहा है.वन प्रमंडल दो के डीएफओ पीयूष बरनवाल ने हरी झंडी दिखाकर स्कूली छात्र छात्राओं के प्रभात फेरी को रवाना किया. डीएफओ ने वीटीआर के जंगलों में बढ़ती बाघों संख्या उनकी सुरक्षा व संरक्षण में बेहतर करने वाले वन कर्मियों को बधाई दी गई तथा विभिन्न व प्रक्षेत्रों के विद्यालय में चित्रांकन प्रतियोगिता के दौरान बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण एवं वन्य जीवों से प्रेम को अपने चित्रांकन में दर्शाया. चित्रांकन व निबंध प्रतियोगिता के जरिए बेहतर संदेश देने वाले छात्रों को पुरस्कृत किया गया. हरनाटांड़ वन क्षेत्र अधिकारी शिव कुमार राम व गोनौल वन प्रक्षेत्र अधिकारी राजकुमार कार्यालय परिसर में विश्व बाघ दिवस के अवसर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जंगल व बाघ हैं तो मनुष्य का जीवन है. अगर जंगल और जंगली जीव नहीं रहे तो मानव जीवन भी समाप्त हो जाएगा. इस लिए हर इंसान को अपने जीवन में कम से कम एक पेड़ जरूर लगाना चाहिए. प्राकृतिक द्वारा वरदान के रूप में मिली जंगल को नष्ट कर देने से जंगली जानवरों सहित बाघों के जीवन पर भी खतरा उत्पन्न हो सकता है. जंगल के साथ-साथ बाघों की भी सुरक्षा करना हर इंसान का कर्तव्य है.जंगल के आस-पास रहने वाले लोगों को इन जानवरों से बचने के लिए क्या- क्या करना चाहिए. मौके पर मौजूद स्कूली बच्चे,ईडीसी,व वन वर्ती गांवों के लोगों से अपील करते हुए कहीं. वनपाल, वनरक्षी वनकर्मी व स्कूली बच्चों के साथ ईडीसी, वन वर्ती गांवों के लोग शामिल रहें. 2010 से मनाया जा रहा विश्व बाघ दिवस विश्व बाघ दिवस की शुरुआत 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग (रूस) में आयोजित टाइगर समिट में हुई थी. इस सम्मेलन में बाघों की घटती संख्या पर चिंता व्यक्त की गई थी. तब 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था. इसका उद्देश्य बाघों और उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करना है. साथ ही वैश्विक स्तर पर जागरूकता फैलाना भी इसका लक्ष्य है. उस समय वीटीआर में बाघों की संख्या शावक समेत करीब 60 से अधिक है.
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