बगहा. दारू के खिलाफ थरुहट की आदिवासी महिलाओं ने मोर्चा खोल दिया है. इसमें पुलिस भी शामिल हो गयी है. महिलाएं कुदाल, फावड़ा व झाड़ू लेकर शराब बनाने के ठिकानों पर टूट पड़ रही हैं. खेत-खलिहान, घरों और जमीन के भीतर छुपाकर रखी देसी दारू खुद नष्ट कर रही हैं. अब तक 70 से अधिक दारू भट्ठियों को ध्वस्त कर चुकी हैं. हजारों लीटर दारू को बर्बाद कर दिया है. उनके इस अभियान से लगा रहा है कि नक्सल मुक्त लौकरिया थाना क्षेत्र के हरनाटांड़ इलाके से शराब को खत्म करके ही महिलाएं दम लेंगी. तीन दिनों से अभियान चलाकर आधी आबादी ने नशामुक्त समाज निर्माण का एलान कर दिया है. मंगलवार काे पुलिस की अगुवाई में सैकड़ों महिलाओं ने शराबबंदी कानून को सफल बनाने का जिम्मा संभाल लिया. थरूहट की राजधानी हरनाटांड़ के खजुरिया, सुंदरपुर, भलुहवा टोला व अन्य कई गांवों में शराब निर्माण के खिलाफ ग्रामीण महिलाएं गोलबंद होकर पुलिस के साथ सर्च अभियान चला रही हैं. शराब निर्माण के ठिकानों तक पहुंचकर भट्ठियों को तहस-नहस कर रही हैं. वर्षों से जो काम पुलिस नहीं कर पा रही थी उसका बीड़ा अब महिलाओं ने अपने कंधे पर उठा लिया है. पूरे अभियान में लौकरिया के थानाध्यक्ष अमन कुमार के नेतृत्व में पुलिस भी महिलाओं के साथ शराब के खिलाफ अभियान में शामिल हो गयी है. इन भट्टियों से बनने वाली दारू पीकर परिवार के पुरुषों के बहकने की आदत ने महिलाओं को मोर्चा खोलने के लिए मजबूर कर दिया है. अतिपिछड़े इस इलाके में अब महिलाओं ने तय किया है कि किसी भी हाल में गांव में न तो शराब बनेगी और न ही बिकेगी. न ही कोई पुरुष पी सकेगा. सूबे में शराबबंदी कानून को लेकर हर रोज सवाल खड़े हो रहे हैं. विपक्ष सरकार पर विफलता को लेकर हमलावर है. ऐसे में बगहा के थरूहट इलाके से आधी आबादी का यह कदम निश्चित तौर पर शराबबंदी की सफलता में कारगर पहल है. यह नशामुक्त समाज निर्माण में मील का पत्थर साबित होगा. आदिवासी सरिता देवी, नीतू देवी के नेतृत्व में इस अभियान के पक्ष में महिलाएं आगे आयी हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है