विधानसभा व लोकसभा चुनाव में करते आ रहे अपने मत का प्रयोग,
नहीं मिला स्थाई वास भूमि का दर्जा
कैलाश नगर संघर्ष समिति ने पीएम व सीएम को पत्र लिख पीड़ितों को स्थाई भूमि दिलाने का किया मांग
नगर के कैलाश नगर में कुल चार वार्डों में 35 से 40 हजार की जनसंख्या में बसे आ रहा पीड़ित परिवार
बगहा.
दो दशक पूर्व गंडक नदी में आई प्रलयंकारी बाढ़ कटाव से विस्थापित पिपरासी के सैकड़ों परिवार शहर के बगहा दो स्थित कैलाश नगर के विभिन्न वार्ड व मोहल्लों में रेलवे एवं अन्य सरकारी भूमि पर शरण लेकर अपने परिवारों का जीविकोपार्जन करते आ रहे हैं. वही वार्ड से लेकर विधानसभा व लोकसभा के चुनाव में अपना मत का भी प्रयोग करते आ रहे हैं. लेकिन उन्हें अब तक स्थाई वास भूमि का पर्चा नहीं मिला और ना ही उन्हें सरकारी भूमि ही मुहैया कराई गयी. जिससे वे सरकार के विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं से वंचित होते आ रहे हैं. जिसको लेकर पीड़ित परिवार के लोगों ने स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक अधिकारी से लेकर विधायक व सांसद जनप्रतिनिधियों से अपनी व्यथा सुनाई. लेकिन सिर्फ आश्वासन मिलता रहा. लेकिन अब तक उन्हें स्थाई वास भूमि का न तो दर्जा मिला और नहीं कहीं उन्हें सरकारी भूमि देकर बसाया गया. जिसको लेकर कैलाश नगर संघर्ष समिति के सदस्यों ने पीएम नरेंद्र मोदी व सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखा है और पीड़ित परिवार के लोगों को स्थाई वास भूमि का दर्जा दिलाने की मांग की है. इन लोगों ने दिए आवेदन में बताया है कि कैलाशनगर वासी करीब 52 वर्षों से बसे हुए है. साथ ही उनकी दो पीढ़ी गुजर गयी है. परंतु सरकार द्वारा अभी तक स्थाई बास भूमि का दर्जा नहीं दिया गया. जिसके कारण वास्तविक गरीबों भूमिहीनों कटाव पीड़ितों को सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. संघर्ष समिति कैलाशनगर के अध्यक्ष रामनाथ निषाद ने बताया कि चुनाव के समय जनप्रतिनिधि आते है और कहते हैं कि हम कैलाशनगर को स्थाई करा देंगे. मगर चुनाव बीत जाने के बाद भूल जाते हैं.सरकार की योजनाओं से वंचित है कटाव पीड़ित
स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय एवं प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ से वंचित है. पांच दशक के अंतराल पर कैलाशनगर में 35-40 हजार की जनसंख्या हो गयी है. कैलाशनगर चार वार्डों में विभक्त है. जिसमें क्रमश: वार्ड नंबर 4, 6, 7, 8 शामिल है. कैलाशनगर के वासी हर समय चुनाव में सरकार के पक्ष में मतदान करते चले आ रहे है. सरकार द्वारा हम लोगों को बिजली, पानी, पक्की सड़क, सामुदायिक भवन यादि की सुविधा उपलब्ध कराई गयी है. परंतु जमीन का कोई कागजात नहीं रहने के कारण सरकार द्वारा चलाए गए योजनाओं में गरीब परिवार वालों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. हमारी मांग है कि हम लोगों को स्थाई किया जाए एवं बास भूमि का अधिकार दिया जाए. ताकि स्थाई जीवन व्यतीत हो सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है