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बिहार: बेतिया का इस चीज से है खास रिश्ता, जानिए शहर के नाम के पीछे का इतिहास

Bihar News: बिहार के बेतिया शहर के नाम के पीछे का इतिहास काफी बढ़िया है. बताया जाता है कि कभी यह अपनी पहचान के लिए देशभर में जाना जाता था. दूूर- दूर तक इसको लेकर इसकी पहचान थी. लेकिन, अब दौर कुछ और है.

Bihar News: बिहार के पश्चिमी चंपारण में स्थित बेतिया शहर का इतिहास काफी पुराना है. इसके नामकरण के इतिहास के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है. यह राजधानी पटना से 210 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. बताया जाता है कि यह कभी अपनी पहचान के लिए देशभर में जाना जाता था. जानकारी के अनुसार कभी बेतिया शहर बेंत की लकड़ी से घिरा होता था. इसको लेकर ही इस शहर का नामकरण हुआ था. वहीं, इससे कई चीजों का निर्माण भी होता था. बेंत के बारे में बता दें कि इसके तने मजबूत और ललीचे हुआ करते हैं. साथ ही इससे फर्नीचर, टोकरी और अन्य कलात्मक सामानों को बनाया जाता है.

दूर- दूर से घूमने आते है पर्यटक

कहा जाता है कि बेतिया शहर समय के साथ अपनी पहचान से दूर हो रहा है. हांलाकि, अभी भी यहां बेंत की खेती की जाती है. इसी के आधार पर कभी इस शहर का नाम पड़ा था. जानकारी के अनुसार सटा बैरिया प्रखंड में उदयपुर वन प्राणी आश्रययणी जंगल आज भी स्थित है. इसे पर्यटकों के लिए खुला रखा गया है. कई लोग यहां घूमने के लिए आते है. दूर – दूर से यहां लोग पहुंचते है. बड़े पैमाने पर यहां बेंत की लड़की मिलती है. इस घने से जंगल में दूर- दूर तक बेंत नजर आता है. आम तौर पर दमदली या जलजमाव वाले इलाकों में इसे उगाया जाता है.

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बड़े पैमानों पर होती है खेती

पानी अच्छी मात्रा में अगर उपलब्ध हो तो इसकी तेजी से वृद्धि होती है. बेतिया के कई इलाकों में बड़े पैमानों पर इसकी खेती की जाती है. वहीं, कई जगह पर बेंत की लकड़ी को काट भी दिया गया है. इसकी लंबी झाड़ी होती है. इसके तने काफी लचीले और मजबूत होते है. यह काफी बढ़िया होती है. कई जगह पर कलाकार इससे आभूषणों का भी निर्माण करते है. इसे उपयोग में भी लाया जाता है. गिफ्ट बास्केट, केतली, बोतल आदि का भी इससे निर्माण होता है. कई लोगों के लिए यह रोजगार का साधन भी है. यही कारण है कि इसे उगाया जाता है. बेंत से बनी चीजों की बाजार में बिक्री भी अच्छी होती है. देशभर में लोग इसे खूब पसंद करते हैं. बेंत से बनाई जाने वाली आकर्षक चीजें कई लोगों के लिए रोजगार का साधन है. गले का चेन, झुमका, ईयर रिंग जैसे तमाम आभूषण इससे बनाया जा सकता है. बेतिया शहर वनसंपदा से भरा हुआ है. यह अपने भौगोलिक विभिन्नताओं के लिए मशहूर है. यहां की जमीन उपजाऊ है. मिट्टी दलदली है. खेती के लिए इस भूमि को उपयुक्त माना जाता है. यहां फर्नीचर बनाने का काम होता है. यहां बढ़िया किस्म की बेंत मिलती है. लकड़ियों का भी व्यापाक किया जाता है. कई लोगों की आजीविका का आधार कृषि है. यह लोगों की आय का श्रोत है. माना जाता है कि साल 1627 में बेतिया शहर की उत्पति हुई थी. इसे चंपारण सरकार के नाम से भी जाना जाता था.

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Sakshi Shiva
Sakshi Shiva
Worked as Anchor/Producer from March 2022 to January 2023 at DTV Bharat TV channel. Have worked with Sixth Sense weekly newspaper from August 2021 to January 2022. Have done 21 days internship at Clinqon India as a Social media intern. Post Graduated in Journalism and Mass Communication from Central University of South Bihar, Gaya. Graduated in English from Purnea Mahila College, Purnea.

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