बक्सर. संस्कृति और युवा विभाग द्वारा मुख्यमंत्री गुरु शिष्य परंपरा योजना शुरू की गई है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य है कि जिले की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, दुर्लभ और विलुप्तप्राय कला रूपों को संरक्षित करना है. भरथरी बाबा व दीनाभद्री लोकगाथा बचेंगे चयनित कला क्षेत्रों में विलुप्तप्राय लोक गाथा जैसे गौरियाबाबा, भरथरी बाबा, दीनाभद्री, राजा सलहेश, रेशमा चूहड़मल, सती बिहुला, हिरनी-वीरनी के साथ साथ लोकनाट्य क्षेत्र में विदेशिया, नारदी, डोमकुछ, बगुली, बिरहा, जालिम सिंह, चकुली, बंका, कीर्तनिया शामिल हैं. इसी प्रकार विलुप्तप्राय लोक संगीत में सुमंगली, रोपनी गीत, कटनी गीत, चैता, पूरबी, संस्कार गीत और विलुप्तप्राय लोक वाद्य यंत्र में सारंगी, विचित्रवीणा, रुद्र वीणा, ईसराज, वायलिन, शहनाई, बीन, नगाड़ा आदि को शामिल किया गया है. प्रशिक्षण की अवधि दो वर्ष की है. प्रत्येक माह में कम से कम 12 दिन प्रशिक्षण अनिवार्य है. योजना अंतर्गत गुरुओं के लिए 15 हजार रुपए प्रति माह, संगत कलाकार के लिए 75 सौ रुपए प्रति माह और चयनित शिष्यों के लिए तीन हजार रुपए प्रति माह वित्तीय सहायता निर्धारित है.बताया गया कि गुरुओं का चयन कला संस्कृति और युवा विभाग द्वारा विशेषज्ञ समिति के माध्यम से किया जायेगा.जबकि शिष्यों का चयन चयनित गुरुओं और जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी द्वारा किया जायेगा.संगत कलाकारों का चयन भी गुरुओं द्वारा किया जायेगा. प्रशिक्षण समापन के बाद विभाग द्वारा दीक्षांत समारोह का आयोजन किया जायेगा.
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