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Buxar News: एक तरफ बाढ़ तो दूसरी तरफ सूखे का दंश झेलने को मजबूर है बक्सर

उत्तरी एवं दक्षिणी भागों में बंटे बक्सर की भौगोलिक संरचना के बीच जहां एक तरफ किसान बाढ़ का दंश झेलते हैं तो दूसरी तरफ सुखाड़ के हालात के बीच छटपटाते हैं. मानसून पर निर्भर यहां के किसानों की खेती हर साल भगवान और भाग्य भरोसे होती है.

बक्सर

. उत्तरी एवं दक्षिणी भागों में बंटे बक्सर की भौगोलिक संरचना के बीच जहां एक तरफ किसान बाढ़ का दंश झेलते हैं तो दूसरी तरफ सुखाड़ के हालात के बीच छटपटाते हैं. मानसून पर निर्भर यहां के किसानों की खेती हर साल भगवान और भाग्य भरोसे होती है. सिंचाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने से किसान प्रकृति के दोहरे मार को अब तक सहते आ रहे हैं. कृषि प्रधान बक्सर जिला की 80 फीसद आबादी खेती पर निर्भर है. यहां के दक्षिणी हिस्से जहां धान की खेती के लिए मशहूर हैं, वहीं उत्तरी क्षेत्र रबी की फसल के लिए ख्याति प्राप्त है. हालांकि हर साल जिले का उत्तरी भाग बाढ़ की विभीषिका से तबाह हो जाता है. गंगा में बाढ़ आने से जिले की छह प्रखंडों की कुल 82 गांव व टोले हर साल तबाह होते हैं. यही कारण है कि जिले के कुल 11 प्रखंडों की कुल 39 पंचायतों की एक बड़ी आबादी बाढ़ से प्रभावित होती है. इसमें बक्सर सदर प्रखंड, चौसा, सिमरी, ब्रह्मपुर, चक्की इसके अलावा इटाढ़ी प्रखंड के अतरौना, खतिबा, हरपुर-जयपुर, उनवांस, बसुधर, सरस्ती व नाथपुर गांव हर साल बाढ़ की विभिषिका झेलने को मजबूर है. जबकि जिले की सीमा में विभिन्न प्रखंडों से गंगा नदी समेत आठ नदियां होकर गुजरती हैं. जिसमें ठोरा नदी, कर्मनाशा नदी, भैंसही व धर्मावती नदी शामिल है. गंगा में बाढ़ आने के कारण इन छोटी नदियों का जलस्तर भी काफी बढ़ जाता है. जिस कारण कई सड़कें भी जलमग्न होकर हर साल टूट जाती हैं. जबकि जिले के दक्षिणी क्षेत्र की खेती सिंचाई संकट के कारण सूखे का सामना करने को अभिशप्त हो जाती है. अर्थात जिले की खेती कभी बाढ़ तो कभी सूखाड़ में पिसती रहती है. बाढ़ से बचाव का पांच दशक बाद भी स्थाई हल नहीं हो सका है. नतीजतन लगभग डेढ़ लाख की आबादी बाढ़ में फंसकर तबाही का मंजर झेलती है और खेतों में लगी फसल नष्ट हो जाती है. दक्षिणी क्षेत्र के लिए सिंचाई का मूल स्रोत सोन नहर की स्थिति के चलते खेती हर साल किसानों के लिए संकट बनती जा रही है. दक्षिणी क्षेत्र के पांच प्रखंडों में सिंचाई का मूल साधन सोन नहर है जो किसानों को समय पर धोखा दे जाती है. सिंचाई के अन्य संसाधन यहां फेल हैं. जिले के उत्तरी भाग के पांच प्रखंड रबी फसल की खेती के लिए मशहूर है, लेकिन दुख की बात यह है कि संपूर्ण जिला कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ की प्रकृति की दोहरी मार को झेलता है.

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