बक्सर
. जिले में किसान को खरीफ खेती को कीटों से बचाव के लिए प्रबंधन का नया तरीका कृषि विभाग ने शुरू किया है, जिसके तहत पहले खेतों में फसलों के ऊपर भाड़े पर ड्रोन लेकर कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है. अब विभाग ने किसानों को ही हवाई ड्रोन देने का फैसला लिया है.यह ड्रोन प्रत्येक अनुमंडल में एक एक किसान को अनुदानित दर पर दिया जाएगा.दरअसल किसान कीटों को लेकर परेशान रहा करते थे.फसल के बचाव के लिए तरह-तरह के उपाय ढूंढते रहते थे.लेकिन अब उनके फसल को कीड़ा नहीं खाये इसके लिए ड्रोन से छिड़काव का तरीका अपनाया गया है.पिछले वर्ष से किसान अपने फसलों का किराया पर ड्रोन से छिड़काव करते आ रहे हैं.सबसे अधिक दलहन एवं तिलहन के फसल को कीड़ा नष्ट कर रहे हैं.इसी कारण किसानों की फसल का उत्पादन अक्सर प्रभावित होकर रह जाता था.ड्रोन से छिड़काव करने से फसल पूरी तरह कीड़ा रहित हो जाता है, क्योंकि वर्षां की बूंद की तरह आसमान की तरफ से फसल के ऊपर कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है.पिछले साल भी कीड़ा से बचाव के लिए ड्रोन से कीटनाशक से छिड़काव किया गया था.किसानों के हित में पौधा संरक्षण विभाग इसके लिए पहल कर रहा है. छिड़काव में खर्च और समय लगेगा कम : पौध संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक बेबी कुमारी ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष 2025-26 में जिले के 11 सौ एकड़ फसल का खिड़काव ड्रोन से करने का लक्ष्य है. जिसमें प्रत्येक प्रखंड को सौ-सौं एकड़ लक्ष्य दिया गया है. कीटनाशक उर्वरक का छिड़काव करने के किसानों से आवेदन मांगा गया है. ताकि समय पर किसानों को अनुदानित दर पर ड्रोन उपलब्ध कराया जा सकें. उन्होंने बताया कि ड्रोन से कीटनाशक के छिड़काव में समय और राशि का खर्च काफी कम पड़ता है.एक एकड़ फसल में कीटनाशक छिड़काव करने के लिए दो मजदूर लगते हैं.समय कम से कम चार घंटा लगता है.इस प्रकार किसानों को एक एकड़ में लगभग 60 से 80 लीटर पानी लगता है.ड्रोन से छिड़काव करने में मात्र 10 मिनट के अंदर एक एकड़ का काम हो जाता है.जबकि ड्रोन से मात्र 3 घंटे में 25 एकड़ जमीन का छिड़काव पूरा हो जाता है.खेतों के ऊपर ड्रोन ऑटोमेटिक ढंग से काम करता है. सिर्फ कंट्रोल के लिए एक आदमी चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है