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लॉकडाउन के दौरान लोगों में बढ़ा ऑनलाइन महामारी पर बनी फिल्में देखने का क्रेज

लॉकडाउन के चलते घरों में कैद लोग टीवी के साथ ही ऑनलाइन फिल्में देखकर वक्त गुजार रहे हैं. इस दौरान महामारी फैलने की फिल्में ज्यादा देखी जा रही हैं. दर्शकों में युवा ही नहीं बड़े बुजुर्ग भी शामिल हैं जो कोरोना वायरस के चलते घरों से नहीं निकल पा रहे हैं. आमतौर पर लोग छुट्टी पर मनोरंजक फिल्में देखते हैं.

पटना. लॉकडाउन के दौरान लोग टीवी के साथ ही ऑनलाइन फिल्में देखकर वक्त गुजार रहे हैं. इस दौरान महामारी फैलने की फिल्में ज्यादा देखी जा रही हैं. दर्शकों में युवा ही नहीं बड़े बुजुर्ग भी शामिल हैं जो कोरोना वायरस के चलते घरों से नहीं निकल पा रहे हैं. आमतौर पर लोग छुट्टी पर मनोरंजक फिल्में देखते हैं. रोमांटिक और एक्शन मूवीज भी पसंद की जाती हैं. रोमांच पसंद लोग थ्रिलर या हॉरर मूवी देखते हैं. मगर कोरोना संकट के इस दौर में लोगों की फिल्मों की पसंद भी बदली है. नेट पर ऑनलाइन फिल्में देखने के शौकीन लोगों की पहली पसंद इस वक्त वायरस और महामारी से जुड़ी फिल्में बनी हैं. यू-ट्यूब के अलावा एमजन प्राइम, नेट फ्लिक्स, जी समेत अन्य ऑनलाइन स्ट्रीमिंग एप पर वायरस इंफेक्शन पर आधारित फिल्मों को बहुतायत में सर्च किया जा रहा है.

मुसल्लहपुर में रहने वाले स्नातक के छात्र बिट्टू कुमार ने पिछले हफ्ते भर में महामारी से जुड़ी तकरीबन सभी फिल्मों को देख लिया है. वे रोज ऐसी दो फिल्में देखकर वक्त गुजार रहे हैं. वहीं रितेश शर्मा उर्फ गोलू फिल्मों के ज्यादा शौकीन नहीं हैं मगर उन्होंने भी तीन-चार ऐसी फिल्म देख ली हैं. एक निजी कंसलटेंसी के डायरेक्टर तेजन शर्मा का कहना है कि इस वक्त हर तरफ कोरोना ही कोरोना की बात है तो लोग इसी संकट से जुड़ी फिल्मों को भी देख रहे हैं. श्रेया शर्मा बताती है स्कूल बंद है. मम्मी-पापा के साथ ज्यादा समय गुजार रहीं हूं और दिन में एक बार महामारी पर आधारित कोई एक फिल्म सभी कोई देखती हूं.

फिल्मों से सिख रहें महामारी से कैसे लड़ा जाये

मुसल्लहपुर के अमन राज उर्फ सिट्टू वैसे तो पढ़ाई के बाद पब-जी खेलते रहते हैं लेकिन जबसे कोरोना संकट पैदा हुआ है पब-जी में कम समय बिताने लगे हैं. उन्होंने बताया कि वायरस पर आधारित कई फिल्में उन्होंने देखा है. वैसे उनके घर में सभी को हॉलीवुड पसंद है लेकिन इन दिनों वायरस आधारित फिल्मों में दिलचस्पी कुछ ज्यादा बढ़ गयी है. उन्होंने कहा कि फिल्म केवल देखते ही नहीं इसमें वायरस से बचने का तरीका भी बताया जाता है. कैसे एकजुट होकर सभी वायरस को खत्म करने में जुटे रहते हैं. यही भी सिखने को मिलता है.

ये हैं टॉप मूवीज द सेवंथ सील, द लास्ट मैन ऑन अर्थ, आउट ब्रेक, डॉन ऑफ द डेड, 12 मंकीज, केबिन फीवर, रेजीडेंट इविल सीरीज, 28 डेज लेटर, 28 वीक लेटर, कैरियर्स, ब्लाइंडनेस, ब्लैक डेथ, कांटेजिअन जैसी कुछ अन्य मूवीज शामिल है.

क्‍या कहते हैं डॉक्टर डॉ. भास्कर बताते हैं कि लोग इस वक्त सहमे हुए हैं. घरों में बंद हैं. उनके पास वक्त भी है और वायरस के बारे में दिलचस्पी भी और आशंकाएं भी. ऐसे में यह स्वाभाविक मनोवृति है कि लोग मौजूदा संकट से जुड़ी फिल्मों को देख रहे हैं. हालांकि इससे लोगों को बचना चाहिए क्योंकि लोगों में भय भी समा सकता है.

Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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