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बौद्ध परिपथ : एक समग्र विकास विषय पर एमयू में दो दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य शुभारंभ

फोटो-गया बोधगया 213 संगोष्ठी का उद्घाटन करते मुख्य अतिथि व अन्य

बौद्ध परिपथ : एक समग्र विकास विषय पर एमयू में दो दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य शुभारंभ

वरीय संवाददाता, बोधगया.

मगध विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी बौद्ध परिपथ इन बिहार : अ होलिस्टिक डेवलपमेंट का शुभारंभ शुक्रवार को राधाकृष्णन सभागार में हुआ. यह आयोजन आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के तत्वावधान में और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सहयोग से किया गया. संगोष्ठी की शुरुआत दीप प्रज्वलन, कुलगीत एवं स्वागत गीत से हुई, जिसने पूरे वातावरण को गरिमामय बना दिया. मुख्य अतिथि प्रो सिद्धार्थ सिंह, कुलपति, नव नालंदा महाविहार, नालंदा ने उद्घाटन सत्र में कीनोट भाषण देते हुए बिहार की बौद्ध धरोहर की वैश्विक महत्ता को रेखांकित किया. उन्होंने इसे भारत की सांस्कृतिक सॉफ्ट पावर के रूप में विकसित करने की आवश्यकता बतायी.

बौद्धकाल में नारी सशक्तीकरण की मिसाल

प्रो सिंह ने अपने वक्तव्य में प्राचीन वैशाली में भिक्षुणी संघ की स्थापना को ऐतिहासिक क्रांति करार देते हुए कहा कि यह कदम उस युग में महिलाओं को शिक्षा, आत्मनिर्णय और धार्मिक जीवन में भागीदारी प्रदान करने की दिशा में मील का पत्थर था. उन्होंने इसे आधुनिक सामाजिक विमर्श से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने प्रसिद्ध इतिहासकार विलियम डैलरिम्पल का उल्लेख करते हुए कहा कि बिहार का अतीत विश्व की महानतम बौद्धिक परंपराओं में से एक रहा है. नालंदा, विक्रमशिला और ओदंतपुरी जैसे विश्वविद्यालयों ने सहस्त्राब्दियों तक ज्ञान का प्रकाश फैलाया. इस धरोहर को पुनर्जीवित कर बिहार को आध्यात्मिक पर्यटन और वैश्विक संवाद का केंद्र बनाया जा सकता है. प्रो सिंह ने गुरपा सहित अन्य बौद्ध स्थलों पर शांति पदयात्राओं के माध्यम से सांस्कृतिक चेतना जागृत करने की अपील की. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो बीआरके सिन्हा ने की. उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संगोष्ठी के विषय की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए बौद्ध परिपथ के सतत विकास हेतु नीति, शोध, पर्यटन और समुदाय के समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया.

पहले दिन तीन तकनीकी सत्रों और पैनल चर्चा में देशभर के विद्वानों ने रखे विचार

संगोष्ठी के पहले दिन तीन तकनीकी सत्र और एक पैनल चर्चा आयोजित की गयी, जिसमें देशभर से आए विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किये. प्रो संजय इंगोले ने योजना और विकास में सामुदायिक सहभागिता : एक बौद्ध दृष्टिकोण विषय पर विचार रखे. प्रो राणा पीबी सिंह ने बौद्ध पवित्र धरोहर, स्थल की आत्मा और तीर्थ पर्यटन के स्वरूप पर प्रकाश डाला. प्रो राणा प्रताप ने बिहार में बौद्ध परिपथ की संभावनाएं : उभरते मुद्दे एवं चुनौतियां विषय पर गहन चर्चा की. इस अवसर पर विभिन्न संकायों के डीन, विभागाध्यक्ष, विश्वविद्यालय के शिक्षक व देशभर से आए प्रतिभागी उपस्थित रहे. डॉ मौसमी, डॉ मीनाक्षी प्रसाद, डॉ नीरज सिंह, राकेश कुमार और डॉ प्रीति कुमारी सहित विभाग के अन्य शिक्षकों का आयोजन में सराहनीय योगदान रहा.

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