डुमरिया. झारखंड के लातेहार जिले के महुआडांड़ थाना क्षेत्र अंतर्गत चोरहा दौना जंगल में रविवार की रात सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 2012 के चर्चित कटिया कांड का मुख्य साजिशकर्ता मनीष यादव मारा गया. मंगलवार को जब उसका शव डुमरिया थाना अंतर्गत महुलनिया गांव लाया गया, तो पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया. शव के अंतिम दर्शन के लिए भारी संख्या में लोग एकत्र हुए. बुजुर्ग महिलाएं फूट-फूटकर रो पड़ीं, वहीं कई युवा चुपचाप खड़े रहे.
कटिया कांड से मिली थी पहचान
मनीष यादव वही नक्सली था, जिसने 2012 में लातेहार के बरवाडीह थाना क्षेत्र में सीआरपीएफ पर हुए हमले को अंजाम दिया था, जिसमें 13 जवान शहीद हुए थे. इस हमले की अमानवीयता तब सामने आयी जब मनीष ने एक शहीद जवान के शव में बम प्लांट कर दिया था. इसके अलावा 2018 में गढ़वा के पोलपोल में हुए हमले में भी उसकी संलिप्तता रही, जिसमें छह जवान शहीद हुए थे. मनीष पर झारखंड और बिहार के सीमावर्ती इलाकों में 50 से अधिक नक्सली घटनाओं में शामिल होने का आरोप था. वर्ष 2018 में बूढ़ा पहाड़ इलाके में बीमारी से अरविंद की मौत हो गयी थी. अरविंद की मौत के बाद मनीष यादव बूढ़ा पहाड़ इलाके में बना रहा और बाद में वह सबजोनल कमांडर बन गया. मनीष यादव बूढा पहाड़ से लेकर बिहार के छकरबंधा कॉरिडोर का सबसे बड़ा कुरियर था.
बेरोजगारी से शुरू हुआ उग्रवाद का सफर
परिजनों के अनुसार, मनीष ने इंटरमीडिएट के बाद दिल्ली जाकर नौकरी की तलाश की थी, लेकिन विफलता हाथ लगी. आर्थिक तंगी और बेरोजगारी के चलते वह 2013 में वापस लौटा और जल्द ही नक्सली संगठन से जुड़ गया. धीरे-धीरे वह संगठन में सब-जोनल कमांडर बना और बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ स्थापित कर ली. बताया जाता है कि वह एक समय एक करोड़ के इनामी नक्सली अरविंद का बॉडीगार्ड भी रह चुका था.
ससुराल के जंगल में हुआ अंत
रविवार की रात करीब दो बजे महुआडांड़ के चोरहा दौना जंगल में सुरक्षाबलों को मनीष की मौजूदगी की सूचना मिली. कार्रवाई के दौरान मनीष ने फायरिंग शुरू की, जिसके जवाब में वह ढेर हो गया. मुठभेड़ के बाद पुलिस ने पांच लाख के इनामी नक्सली कुंदन खरवार को गिरफ्तार किया, जो 2019 के लुकइया मोड़ हमले का आरोपित है.
गांव में गुपचुप आता-जाता था मनीष
ग्रामीणों के अनुसार, मनीष पिछले कुछ वर्षों में गांव कभी-कभार ही आता था और वह भी चोरी-छिपे. संगठन ने उसे सीमावर्ती इलाकों में नेटवर्क मजबूत करने की जिम्मेदारी दे रखी थी. उसका मूवमेंट अधिकतर लातेहार, नेतरहाट, महुआडांड़ और पलामू के जंगलों में होता था.
पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी
गया जिले के आमस, डुमरिया और रौशनगंज थाना क्षेत्रों में मनीष यादव के खिलाफ कई मामले दर्ज थे, जिनमें आमस थाना कांड संख्या 196/17 और डुमरिया थाना कांड संख्या 55/18 प्रमुख हैं. मनीष की मौत को सुरक्षा बलों ने बड़ी सफलता बताया है, क्योंकि वह लंबे समय से वांछित था और सीमावर्ती नक्सल नेटवर्क का अहम हिस्सा था.
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