डोभी. जिले में करोड़ों की लागत से बना पुल ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच गया है. डोभी प्रखंड अंतर्गत कोठवारा से वरिया तट तक नीलांजना नदी पर नाबार्ड योजना के तहत बना 13.09 करोड़ रुपये के पुल का निर्माण दिसंबर 2022 में पूरा हो गया था. लेकिन, दो साल से अधिक बीत जाने के बाद भी न तो पुल का उद्घाटन हुआ और न ही उपयोग में लाया गया. अब पुल के दो पाये धंस गये हैं और जगह-जगह बड़े-बड़े दरारें भी उभर आयी हैं, जिससे इसकी स्थिति दिन-ब-दिन खतरनाक होती जा रही है. पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही से हादसे की आशंका और बढ़ गयी है. जैसे ही पुल धंसने की जानकारी मिली, पुल निर्माण निगम के जिला कार्यपालक अभियंता प्रेम प्रकाश रंजन, शेरघाटी कार्यपालक अभियंता बृजकिशोर प्रसाद, सहायक अभियंता मोहम्मद असलम और कनीय अभियंता अविनाश मिश्रा आनन-फानन में निरीक्षण के लिए पहुंचे. वहां मौजूद ग्रामीणों ने अधिकारियों को जमकर फटकारा और कहा कि संवेदक तिरुपति बालाजी कंस्ट्रक्शन की मिलीभगत से घटिया सामग्री का उपयोग हुआ है. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि निर्माण के दौरान भी पुल का एक हिस्सा गिरा था, लेकिन अधिकारी इसे अचानक नदी में पानी आने की बात कहकर दबा गये.
सात साल बाद बना, फिर भी नहीं हुआ उद्घाटन
पुल का शिलान्यास वर्ष 2015 में तत्कालीन विधायक द्वारा किया गया था. सात वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद यह बनकर तैयार हुआ, लेकिन उद्घाटन के बिना ही पुल क्षतिग्रस्त होने लगा. यह पुल डोभी और बाराचट्टी प्रखंड के करीब 40 गांवों और झारखंड के लगभग 20 गांवों के लोगों की जीवन रेखा माना जाता है. माॅनसून के समय यह पुल नदी पार करने का एकमात्र सुरक्षित माध्यम बनता, क्योंकि इससे पहले हर साल कई लोगों की डूबने से मौत हो जाती थी.
जांच और कार्रवाई के निर्देश
जिला कार्यपालक अभियंता प्रेम प्रकाश रंजन ने निर्देश दिया है कि पुल के लेवल की जांच दिन में तीन बार की जाये और दोनों छोर पर चेतावनी बोर्ड लगाकर भारी वाहनों की आवाजाही रोक दी जाये. उन्होंने यह भी कहा कि निर्माण के दौरान की गयी गड़बड़ियों की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है