भारत का पहला विश्वविद्यालय आधारित प्रौद्योगिकी केंद्र होगा स्थापित
राष्ट्रपति की उपस्थिति में नयी दिल्ली में हुआ एमओयू हस्ताक्षर
फोटो गया बोधगया 210 एमओयू के साथ एमयू के वीसी व मंत्रालय के अधिकारी
फोटो गया बोधगया 211 कार्यक्रम में मौजूद राष्ट्रपति व मंत्री
वरीय संवाददाता, बोधगया.
उच्च शिक्षा, तकनीकी नवाचार और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल के तहत शुक्रवार को विज्ञान भवन, नयी दिल्ली में एक महत्वपूर्ण एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये. इस अवसर पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु और सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम मंत्री जीतन राम मांझी की उपस्थिति रही. यह समझौता मगध विश्वविद्यालय और भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के बीच संपन्न हुआ है. एमओयू के तहत बिहार के पहले विश्वविद्यालय आधारित प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना की जायेगी, जो मगध विश्वविद्यालय परिसर में संचालित होगा.तकनीकी शिक्षा और स्टार्टअप संवर्धन को मिलेगा बढ़ावा
यह प्रौद्योगिकी केंद्र युवाओं के लिए तकनीकी शिक्षा, स्टार्टअप संवर्धन, कौशल विकास, नवाचार और अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में व्यापक अवसर प्रदान करेगा. यह पहल बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लाखों युवाओं के लिए नए रास्ते खोलेगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देगी. इस ऐतिहासिक एमओयू को पूर्व में मगध विश्वविद्यालय की सिंडिकेट की विशेष बैठक में सर्वसम्मति से स्वीकृति दी गयी थी. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एसपी शाही, कुलसचिव प्रो बिपिन कुमार, पीआरओ डॉ गोपाल सिंह, और गृहविज्ञान विभाग की प्रभारी डॉ. दीपशिखा पांडेय इस अवसर पर उपस्थित रहे.कुलपति ने बताया इसे स्वर्णिम उपलब्धि
कुलपति प्रो एसपी शाही ने कहा कि यह परियोजना तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ औद्योगिक उन्नयन और रोजगार सृजन के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी परिवर्तन लायेगी. यह बिहार की शिक्षा प्रणाली को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर एक नयी पहचान दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी. उन्होंने इसे मगध विश्वविद्यालय के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय करार दिया, जो राष्ट्रपति की गरिमामयी उपस्थिति में देश के भविष्य निर्माण की दिशा में उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है