फसल को नुकसान, सरकार से मुआवजे की मांग
प्रतिनिधि, टिकारी.
मोरहर नदी में अचानक आयी बाढ़ के कारण सोलहदाम तटबंध कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया है. तटबंध टूटने के कारण बाढ़ का पानी आसपास के खेतों में तेजी से फैल गया है, जिससे मां तारा नगरी केसपा समेत आसपास के दर्जनों गांवों में धान की रोपाई को भारी नुकसान पहुंचा है. इस क्षेत्र को धान का कटोरा के रूप में जाना जाता है. लेकिन, आज सभी खेत जलमग्न हो गये हैं. मॉनसून के मौसम में सोलहदाम तटबंध टूटने का एक लंबा इतिहास रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि तटबंध की मरम्मत व मजबूतीकरण कार्य समय पर नहीं किया गया है. इसकी वजह से नुकसान हुआ है. कई स्थानों पर तटबंध पूर्व से जर्जर स्थिति में था, फिर भी प्रशासन की ओर से इसकी अनदेखी की गयी. क्षेत्र के कई किसानों ने एक स्वर से कहा कि हजारों किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है. सरकार को किसानों के नुकसान की भरपाई करनी चाहिए. यह प्राकृतिक आपदा प्रशासनिक तैयारियों की पोल खोल दी. टिकारी विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी सुमंत कुमार ने कहा कि निमसर तटबंध के टूटने से किसानों की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है, क्योंकि अधिकतर किसान खेतों में धान लगा चुके थे. यदि समय रहते तटबंध की मरम्मत होती, तो शायद किसानों का नुकसान नहीं होता. श्री कुमार ने कहा कि 50 वर्षों से कोई नहर का निर्माण नहीं किया गया है और न ही समय पर सिंचाई विभाग के अधिकारी निरीक्षण करते हैं. निमसर के तटबंध के टूट जाने से निमसर सिकड़िया कच्ची मार्ग पर आवाजाही बंद हो गया है, जो बहुत ही चिंताजनक है. उन्होंने निमसर, भैरवा, केसपा व अन्य गांवों में फसल के नुकसान की भरपाई की मांग बिहार सरकार व जिला प्रशासन से की है, जबकि सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु शेखर ने सोलहदाम पइन का तटबंध टूटने से किसानों की फसल क्षतिपूर्ति के लिए मुआवजे की मांग की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है