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Gaya News : मुआवजे के 34 लाख रुपये की धोखाधड़ी करनेवाले तीन पकड़ाये

Gaya News : 34 लाख रुपये की मुआवजा राशि में फर्जीवाड़ा करने के मामले में गया सिविल लाइंस थाना की पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है.

गया. केंद्र और बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता औद्योगिक कॉरिडोर परियोजना में भूमि अधिग्रहण के दौरान 34 लाख रुपये की मुआवजा राशि में फर्जीवाड़ा करने के मामले में गया सिविल लाइंस थाना की पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपितों में एक महिला भी शामिल है. रविवार को सिविल लाइंस थानाध्यक्ष शमीम अहमद ने बताया कि इस मामले में जंजीरवाहक पंकज तिर्की (निवासी एग्रलि-बिथोशरीफ), लाल विजय कुमार (निवासी परैया) और रुमांती देवी (निवासी प्राणपुर, परैया) को अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार किया गया है.

क्या है मामला

सात जुलाई 2023 को गया समाहरणालय में पदस्थापित जिला भू-अर्जन पदाधिकारी रवींद्र राम के बयान पर सिविल लाइंस थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. आरोप था कि पंकज तिर्की, एक बैंककर्मी और अन्य की मिलीभगत से भूमि अधिग्रहण में मुआवजा राशि का फर्जीवाड़ा कर 34 लाख रुपये की अवैध निकासी की गयी थी. इन आरोपितों पर धारा 420, 409, 467, 468, 471 और 34 के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू की गयी थी. मामले की उच्चस्तरीय जांच के दौरान सामने आया कि बाराचट्टी थाना क्षेत्र के खरांटी गांव निवासी रामजी मांझी के पुत्र किशोर कुमार और योगेंद्र मांझी की विधवा सुनैना देवी ने जिला भू-अर्जन कार्यालय को आवेदन देकर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने मुआवजा से जुड़े कागजात पंकज तिर्की एवं अन्य को सौंपे थे, लेकिन इन लोगों ने फर्जी बैंक खाता खोलकर उनकी मुआवजा राशि निकाल ली.

96 पन्नों की जांच रिपोर्ट

जिला भू-अर्जन पदाधिकारी द्वारा मामले की विस्तृत 96 पेज की रिपोर्ट तैयार की गयी, जिसमें पंकज तिर्की, दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के सीएसपी संचालक लाल विजय कुमार और रुमान्ती देवी की संलिप्तता स्पष्ट रूप से उजागर हुई. इसके आधार पर तीनों को गिरफ्तार कर रविवार की देर शाम मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया, जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया.

1700 एकड़ में बन रहा है मेगा औद्योगिक कॉरिडोर

गया जिले के डोभी प्रखंड में झारखंड की सीमा से सटे क्षेत्र में करीब 1700 एकड़ भूमि पर अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता औद्योगिक कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है. इस परियोजना को लेकर केंद्र व राज्य सरकार की विशेष निगरानी है. इसी कारण यहां लगातार डीएम, वरीय अधिकारी और मंत्री निरीक्षण के लिए आते रहते हैं. मुआवजा भुगतान में धोखाधड़ी उजागर होने के बाद क्षेत्र में सन्नाटा और सनसनी फैल गयी है. वहीं, भू-अर्जन कार्यालय में तैनात कई लोकसेवक भी जांच के दायरे में आ सकते हैं. सूत्रों के अनुसार, अधिग्रहण के नाम पर कई कर्मी अपारदर्शी तरीकों से लाभ अर्जित कर रहे हैं.

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