कंचन, गया. भौगोलिक दृष्टि से देखा जाये, तो गया के पास से ही कर्क रेखा गुजरी है. साथ ही गया चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा है. यहां की नदियां बरसाती हैं. इस वजह से इस मौसम में सभी नदियां सूखी रहती हैं. झारखंड की सीमा से जुड़े कुछ स्थानों पर जंगली क्षेत्र हैं बाकी मैदानी इलाका है. यहां की पहाड़ों की चट्टानें आग्नेय हैं. इसी वजह से सभी मौसम का असर प्रतिकूल रहता है. खास कर गर्मी यहां इतनी पड़ती है कि राजस्थान भी कभी-कभी फीका पड़ जाता है. अप्रैल महीने की 26 तारीख शनिवार का दिन गर्मी का पिछले 25 वर्षों का रिकार्ड तोड़ गया. गर्मी के इस मौसम के शनिवार सबसे हॉट डे रहा जब अधिकतम पारा 44.6 डिग्री व न्यूनतम पारा 23.8 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया. गौरतलब है कि पिछले पांच दिनों से यहां का अधिकतम तापमान 42 डिग्री से अधिक रह रहा है. मौसम विभाग के आंकड़े के मुताबिक 30 अप्रैल 1999 को गया का अधिकतम तापमान 46.1 डिग्री सेल्सियस हुआ था. इसके बाद से शनिवार का दिन रहा जब 44.6 डिग्री सेल्सियस रहा. 19 अप्रैल 2016 में अधिकतम तापमान 44.2 डिग्री व 30 अप्रैल 2019 को अधिकतम पारा 44.3 डिग्री सेल्सियस रहा था. इस तरह देखा जाये तो 1999 के बाद इस वर्ष अप्रैल महीना का शनिवार दिन सबसे हॉट रहा.
नहीं चली तेज पछुआ हवा, वर्ना हीटवेव जैसे होते हालात
शुक्रवार को अधिकतम तापमान 42.6 डिग्री व न्यूनतम तापमान 23.0 डिग्री सेल्सियस रहा था. शुक्रवार की तुलना में अधिकतम तापमान दो डिग्री उपर चढ़ा है. हालांकि मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक 30 अप्रैल को मौसम में थोड़ा बदलाव के संकेत हैं. आसमान में छिटपुट बदली के बीच कहीं-कहीं बूंदाबांदी भी होने की संभावना है. फिलहाल गया की गर्मी रुलायेगी. ऐसे में सतर्कता व सावधानी ही बचाव है. दोपहर में धरती पूरी तप रही थी. जैसे गर्म लौ निकल रहा हो. गर्म पछुआ हवा तेज नहीं थी, नहीं तो गर्मी और अधिक महसूस होती. तापमान की वजह से गर्मी महसूस हो रही थी, पर लू चलते रहती तो हीट वेब जैसी स्थिति होती. गया में पड़ रही बेशुमार गर्मी से जनजीवन दोपहर जैसे ठहर सा जाता है. सड़कों पर वीरानी सा माहौल रहता है.
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