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ह्रदयाघात होने के बाद सीपीआर देकर बचायी जा सकती है जान

इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाओं पर सुरक्षा बल के जवानों का प्रशिक्षण

इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाओं पर सुरक्षा बल के जवानों का प्रशिक्षण

वरीय संवाददाता, गया जी.

सीपीआर का उपयोग आपातकालीन स्थितियों में किया जाता है. किसी का सांस या दिल की धड़कन रुक जाती है, तो सीपीआर का उपयोग किया जाता है. कुछ मामलों में मुंह से मुंह के जरिये सांस लेना शामिल होता है. यह बातें एयरपोर्ट की सुरक्षा में तैनात केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों का लाइफ सेविंग स्किल्स टू हैंडल इमरजेंसी सिचुएशन विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम में सोमवार को जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमइ हक ने कहीं. उन्होंने कहा कि सीपीआर हृदय और मस्तिष्क में महत्वपूर्ण रक्त प्रवाह को बनाये रखने में सहायता करता है, जो शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं. सीपीआर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा छाती पर दबाव डालना है, जो प्रति मिनट लगभग 100-120 दबावों की दर से छाती पर दबाव डालकर किया जाता है. उन्होंने बताया कि यह क्रिया मस्तिष्क और हृदय जैसे महत्वपूर्ण अंगों में रक्त संचार करने में मदद करता है. हृदयघात के दौरान रक्त प्रवाह को बनाये रखने के लिए गहरा और लगातार दबाव डालना आवश्यक है. डॉग बाइट के बारे में उन्होंने बताया कि कुत्ते के काटने पर घाव को साबुन और पानी से अच्छी तरह टैप के नीचे धोते रहें. इसके बाद नजदीकी अस्पताल ले जाकर इंजेक्शन लगाएं. इस दौरान बेसिक लाइफ सपोर्ट, किसी यात्री को रक्तस्राव या फ्रैक्चर होने पर उसकी इमरजेंसी सेवा, सीपीआर सहित अन्य प्रकार की इमरजेंसी चिकित्सा सेवाओं संबंधी जरूरी जानकारी दी गयी. इसके अलावा स्नैक बाइट, डॉग बाइट आदि पर भी प्रशिक्षण दिया गया.

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