बोधगया. पिछले दो-तीन महीनों के सन्नाटे के बाद तथागत बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया एक बार फिर श्रद्धालुओं की आवाजाही से गुलजार होने वाली है. आषाढ़ पूर्णिमा के बाद औरंगाबाद, सासाराम, झारखंड के पलामू, चतरा समेत सीमावर्ती जिलों से बाबा धाम जाने वाले कांवरियों की बोधगया में आवाजाही शुरू हो जायेगी. बाबा धाम जाने और लौटने के क्रम में कांवरिया महाबोधि मंदिर में दर्शन-पूजन कर शांति की कामना करते हैं. उनके आगमन से महाबोधि मंदिर समेत अन्य बौद्ध मंदिरों में चहल-पहल बढ़ जाती है. बाजार क्षेत्र में भी रौनक लौट आती है और होटल, रेस्टोरेंट, ऑटो व रिक्शा चालकों की भी आमदनी बढ़ने लगती है. इसके अलावा अगले महीने से श्रीलंका के बौद्ध श्रद्धालुओं का आगमन भी शुरू होगा, जिससे पर्यटन व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों की आमदनी में इजाफा होगा. फुटपाथी दुकानदारों और रेस्टोरेंट संचालकों ने बताया कि कांवरियों के आने से दुकानदारी बढ़ जाती है और पर्यटन व्यवसाय रफ्तार पकड़ लेता है. वहीं, श्रीलंकाई श्रद्धालुओं के आगमन से ट्रैवल व्यवसाय से जुड़े लोगों को भी लाभ होता है. सितंबर-अक्तूबर में थाईलैंड, म्यांमार, इंडोनेशिया सहित अन्य देशों से भी श्रद्धालु बोधगया पहुंचने लगते हैं. अक्तूबर से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन शुरू हो जाने से विदेशी पर्यटकों की संख्या में और भी वृद्धि होगी. इससे बोधगया का पर्यटन सीजन पूरी तरह रौशन हो उठेगा.
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