थावे. आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र का बहुत महत्व होता है. तंत्र साधना करने वालों के लिए यह अवधि खास होती है. गुप्त नवरात्र का छठा दिन मां त्रिपुर भैरवी को समर्पित रहा. बिहार के प्रमुख धार्मिक स्थलों में एक थावे में मां सिंहासनी के दरबार में उनकी मनोहारी छवि के दर्शन करने वालों का तांता लगा रहा.
श्रद्धालुओं ने रखी मन्नत
यूपी, बिहार, नेपाल के दूर- दूर क्षेत्रों से पहुंचे भक्तों ने मां को नारियल, सुपारी की बलि देकर अपनी मन्नत को रखा. मंदिर के मुख्य पुजारी पं संजय पांडेय ने बताया कि मंगलवार को 10 महाविद्या का छठा स्वरूप मां त्रिपुर भैरवी का है. माता का यह स्वरूप अहंकार का नाश करता है. मां त्रिपुर भैरवी की साधना एकांत में साधकों ने की. मां त्रिपुर भैरवी की पूजा करने वालों को विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है. यहां बता दें कि भक्त की पुकार पर मां कामाख्या से सिंह पर सवार होकर थावे पहुंची थी. मां कामख्या से आयी इसलिए तंत्र साधकों के लिए यह मंदिर स्वयं में सिद्ध है.
मां त्रिपुर सुंदरी के महत्व काे जानें
आचार्य पं राजेश्वरी मिश्र की मानें तो महादेव के आदेश के अनुसार नारद देवी को खोजने के लिए निकल पड़े. उत्तरी सुमेरु पहुंचने पर नारद ने देवी के सामने महादेव से विवाह करने का प्रस्ताव रखा. प्रस्ताव से क्रोधित होकर देवी ने अपने शरीर से अपना षोडशी रूप प्रकट किया. अत: त्रिपुर भैरवी, महाकाली के छाया रूप से प्रकट हुईं. रुद्रामल तंत्र के अनुसार, सभी 10 महाविद्याएं भगवान शिव की शक्तियां हैं और देवी भागवत के अनुसार, छठी महाविद्या त्रिपुर भैरवी महाकाली का ही रौद्र रूप हैं. इनके कई भेद हैं, जैसे त्रिपुर भैरवी, चैतन्य, सिद्ध, भुवनेश्वर, सम्पदाप्रद, कमलेश्वरी, कौलेश्वर, कामेश्वरी, नित्या, रुद्र, भद्र और शतकुत.आज करें मां धूमावती की पूजा
गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन मां धूमावती की पूजा की जाती है. विवाहित महिलाएं मां धूमावती की पूजा नहीं करती हैं बल्कि दूर से ही मां के दर्शन करती हैं. गुप्त नवरात्रि की सप्तमी तिथि को धूमावती देवी के सामूहिक जप-अनुष्ठान और स्तोत्र का पाठ किया जाते हैं. मां धूमावती दस महाविद्या में सातवीं विद्या है. मां धूमावती की गुप्त नवरात्रि में पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है. तंत्र साधना में विश्वास रखने वालों के लिए बहुत महत्वपूर्ण शक्ति मानी गयी है. मां धूमावती की पूजा करने से पहले स्नान कर काले रंग के वस्त्र धारण करें. पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करके जल, पुष्प, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, फल, धूप, दीप तथा नैवेद्य आदि से मां का पूजन करना चाहिए. इसके बाद मां धूमावती की कथा सुननी चाहिए. पूजा के पश्चात अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए मां से प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए,डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है