गोपालगंज. नेपाल में हो रही बारिश से गंडक नदी का जल स्तर घट-बढ़ रहा है. दीपऊ-पकड़ी बांध के पास नदी का दबाव बरकरार है. बांध को बचाने के लिए इंजीनियरों की टीम मजदूरों के साथ दिन-रात कैंप कर जंग लड़ रही है. बंबू पाइलिंग की जा रही है.
कभी बिगड़ सकता है नदी का मिजाज
बाढ़ संघर्षात्मक बल के अध्यक्ष नवल किशोर सिंह की मानें, तो नदी के तट पर खेती करने के कारण स्वायल लूज होने से डिस्टर्ब हुआ है. नदी के तट पर जब मशीन चलायेंगे, तो वहां नीचे बालू के कारण नदी का कटाव हो रहा. नदी का मिजाज कभी भी बिगड़ सकता है. नदी को रोकने के लिए इंजीनियरों की टीम लगातार कैंप कर निगरानी कर रही है. स्पॉट पर बालू को बोरा में भर कर स्टॉक करने का आदेश दिया गया है. उधर, नदी के वर्तमान हालत पर दियारे के 43 गांवों के लोग सहमे हुए हैं. लोग अभी से ही बरसात में परिवार को शिफ्ट करने के लिए अपने ठिकानों को ढूंढ़ने में जुटे हैं.
वाल्मीकिनगर बराज से घटा डिस्चार्ज
वाल्मीकिनगर बराज से पिछले 24 घंटे में 80 से 90 हजार क्यूसेक जल डिस्चार्ज से घटकर 59 हजार क्यूसेक पर आ गया. नदी विशंभरपुर में खतरे के निशान से अभी छह सेमी नीचे चली गयी. खतरे के निशान से 80 सेमी नीचे रही. उधर, पुरवा हवा नदी की धार को कटावी बना रही है. शाम चार बजे 87 हजार क्यूसेक जल डुमरिया से पार कर रहा था. अभियंताओं ने बताया कि जिले के सभी तटबंध सुरक्षित हैं. कही कोई खतरा नहीं है.
बारिश से बढ़ी दियारे के लोगों की धड़कनें
दीपऊ पकडी कटाव होने से दर्जनों गांव के लोगों में भय का माहौल है. नदी के घटते-बढ़ते जल स्तर के कारण लोगों की धड़कनें बढ़ी हु़ई है. इलाके के लोगों चार माह तक के लिए अपना ठौर तलाश रहे हैं. लोगों को भय है कि छरकी व बांध के बीच में करीब दीपऊं गांव के 12-15 घर पर सीधा अटैक होने का खतरा है. बांध अभी सुरक्षित है. खोरमपुर, पडडिया, फतेहपुर, महारानी, घोघराहां, बांसघाट मंसुरिया, मान टेंगराहीं, बसंत छपरा आदि गांव के लोग सहमे हुए हैं. कटाव को देखते हुए इलाके के लोग भी सहमे हुए हैं. आसपास के लोग भी बांध को बचाने में सहयोग के लिए आगे आ रहे हैं.
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