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थावे मंदिर में मां का दर्शन कर निहाल हो उठे साधक, अराधना कर रखी अपनी कामना

Gupt Navratri 2025: आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्र के चौथे दिन पर सोमवार को बड़ी संख्या में बिहार के प्रमुख शक्तिपीठ थावे में मां सिंहासनी के दरबार में दर्शन पूजन करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. साधकों ने मां भुवनेश्वरी को लाल सिंदूर, चावल और लाल फूल चढ़ाए.

Gupt Navratri 2025: आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्र के चौथे दिन पर सोमवार को बड़ी संख्या में बिहार के प्रमुख शक्तिपीठ थावे में मां सिंहासनी के दरबार में दर्शन पूजन करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. साधकों ने मां भुवनेश्वरी को लाल सिंदूर, चावल और लाल फूल चढ़ाए. इसके बाद मां को मेवे या शुद्ध दूध से बनी मिठाई का भोग चढाया. मंदिर पहुंचे यूपी, नेपाल व बिहार के विभिन्न जिलों से श्रद्धालुओं ने बड़े श्रद्धा भाव से दर्शन पूजन कर घर और परिवार के कुशल मंगल की कामना की. इस अवसर पर माता का फूलों से भव्य श्रृंगार किया गया. मां का दर्शन कर भक्तजन निहाल हो उठे.

मंगला आरती के बाद से जुटने लगे श्रद्धालु

भोर में मंगला आरती के बाद से ही मंदिर में दर्शनार्थियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया. जो दिनभर चलता रहा. नारियल चुनरी, माला फूल, लाइचदाना रोरी रक्षा आदि डलिया में लिए श्रद्धालु मंदिर पहुंचे. जहां मां सिंहासनी के दिव्य स्वरूप का दर्शन कर भाव विभोर हो उठे. मंदिर पहुंचने के बाद गर्भ गृह से मां का दीदार किया. घंटा, शंख एवं नगाड़े के साथ जयकारे से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान हो रहा था. भक्तों ने विधिवत मां का दर्शन पूजन करने के बाद देवी के दिव्य स्वरूप का दर्शन पूजन कर सुख समृद्धि की कामना की.

कल होगी मां छिन्नमस्ता की पूजा

गुप्त नवरात्र के पांचवें दिन मां छिन्नमस्ता की पूजा की जाती है. 10 महा विद्याओं में मां छिन्नमस्ता का 5वां स्थान है. ज्योतिष विशेषज्ञ पं राजेश्वरी मिश्र ने बताया कि मां छिन्नमस्ता व्यक्ति की सभी चिंताओं को दूर कर उसकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. इनकी पूजा करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का डर नहीं सताता है.

तंत्र-मंत्र सीखने वाले साधकों के लिए विशेष महत्व

शिव पुराण में उल्लेखित है कि देवी छिन्नमस्ता ने राक्षसों का वध करके देवताओं को उनसे मुक्त कराया था. देवी छिन्नमस्ता को भगवती त्रिपुर सुंदरी का उग्र रूप माना जाता है. तंत्र-मंत्र सीखने वाले साधकों के लिए गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व होता है. मां को चिंतपूर्णी भी कहा जाता है. इसका अर्थ यह है कि मां चिंताएं दूर कर देती हैं. जो भक्त सच्ची आस्था और भक्ति के साथ मां के दरबार में आते हैं, उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं.

ऐसे करे मां की पूजा

माता छिन्नमस्ता को सरसों के तेल में नील मिलाकर दीपक जलाएं. माता पर नील अथवा सफेद फूल चढ़ाएं और लोबान से धूप करें. उड़द दाल से बनी मिठाई का भोग लगाएं.

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माता छिन्नमस्तिका मंत्र

बाएं हाथ में काले नमक की डली लेकर दाएं हाथ से काले हकीक अथवा अष्टमुखी रुद्राक्ष माला अथवा लाजवर्त की माला से देवी के इस अद्भुत मंत्र का जाप करें. “श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा.”

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Rani
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रानी ठाकुर पत्रकारिता के क्षेत्र में साल 2011 से सक्रिय हैं. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम में काम कर रहीं हैं.

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