गोपालगंज. 11वीं क्लास में जब छात्र आर्ट्स स्ट्रीम चुनते हैं और इतिहास जैसे गहन विषय का चुनाव करते हैं, तो यह आपके लिए एक विशिष्ट और चुनौतीपूर्ण अनुभव होता है. इतिहास केवल तथ्यों की लिस्ट नहीं, बल्कि एक विश्लेषणात्मक विषय है, जिसमें घटनाओं के पीछे के कारण, परिणाम, विचारधाराएं और स्रोतों की समझ जरूरी होती है. आप उसे बेहतर समझ गये तो कैरियर को उड़ान भी यहां से ही मिलता है. प्रभात खबर ने छात्रों की सहायता के लिए मिशन आइएएस के निलेश त्रिपाठी से बातचीत की है, ताकि छात्रों के पढ़ने के तरीके आसानी से समझ आ सके.
इतिहास को विषय नहीं, कहानी समझें
अगर इतिहास विषय को तथ्यों की भारी-भरकम सूची मानकर पढ़ा जाए, तो यह उबाऊ लग सकता है. लेकिन घटनाओं की जुड़ी हुई कहानी जिसमें कारण, पात्र, संघर्ष और बदलाव एक-दूसरे से जुड़ते हैं, के रूप में देखा जाए तो यह विषय रोचक हो जाता है और लंबे समय तक याद भी रहता है. अब नयी शिक्षण नीति में इस हेतु छात्रों में विश्लेषणात्मक सोच विकसित करने पर जोर दिया गया है.
एनसीइआरटी को दें प्राथमिकता
11वीं की हिस्ट्री में एनसीइआरटी की किताबें प्रामाणिक और परीक्षा के लिए जरूरी स्रोत मानी जाती हैं. इसलिए इनके प्रति गहराई से समझ बनाएं और इसके बाद किसी रेफरेंस बुक की मदद लें. हर चैप्टर के अंत में दिए गए प्रश्नों का उत्तर स्वयं के शब्दों में लिखकर अभ्यास करें.स्रोत आधारित सवालों की समझ
अब बोर्ड परीक्षाओं और इंटरनल एसेसमेंट में स्रोत आधारित प्रश्नों की संख्या बढ़ रही है. इसमें विश्लेषणात्मक उत्तर मांगे जाते हैं. इसमें सवालों की समझ मायने रखती है.उदाहरणः द. अफ्रीका में अनुभवों ने गांधीजी के हमारे स्वतंत्रता आंदोलन को कैसे प्रभावित किया? ऐसे प्रश्नों के लिए पृष्ठभूमि की गहराई से समझ व ऐतिहासिक दृष्टिकोण जरूरी होता है.
नियमित रिवीजन व अभ्यास करें
इतिहास जैसे थ्योरी-आधारित विषय के लिए नियमित रिवीजन जरूरी है. हर सप्ताह कम से कम एक बार पुराने चैप्टर के नोट्स पढ़ें और लिखित प्रैक्टिस करें. सीबीएसइ परीक्षा विश्लेषण (2023) में बताया गया कि जिन छात्रों ने प्रति सप्ताह कम से कम तीन आंसर लिखे, उनके आंसर्स की क्वालिटी और समय प्रबंधन बेहतर रहे. महत्त्वहीन तथ्यों को छोड़ें और मुख्य घटनाओं की तारीखें, कारण, घटनाक्रम, प्रभाव आदि लिखें. टाइमलाइन चार्ट बनाएं जैसे भारत में उपनिवेशवाद का उदय (1757 एवं 1857). पैरा पॉइंट फॉर्मेट अपनाएं. माइंड मैप एवं फ्लो चार्ट का प्रयोग करें.इतिहास से संवाद बनाएं, दूरी नहीं
इतिहास केवल अतीत जानने का विषय नहीं है, बल्कि यह हमें वर्तमान को समझने और भविष्य की दिशा तय करने में मदद करता है. इसलिए छात्रों को चाहिए कि वे इसे केवल परीक्षा की बाध्यता न मानें, बल्कि एक सोचने और समझने वाला विषय मानें. सही रणनीति, प्रैक्टिस और रुचिकर अध्ययन से आप इस विषय में गहरी समझ विकसित कर सकते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है