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भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए भरा हुंकार, जय भोजपुरी- जय भोजपुरिया का 11वां स्थापना दिवस धूमधाम से मना

भोरे. भोजपुरी भाषा, संस्कृति और साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित संस्था ''जय भोजपुरी - जय भोजपुरिया'' ने गालिब इंस्टीट्यूट, दिल्ली में अपना 11वां स्थापना दिवस पूरे उत्साह और गरिमा के साथ मनाया.

भोरे. भोजपुरी भाषा, संस्कृति और साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित संस्था ””जय भोजपुरी – जय भोजपुरिया”” ने गालिब इंस्टीट्यूट, दिल्ली में अपना 11वां स्थापना दिवस पूरे उत्साह और गरिमा के साथ मनाया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्व भोजपुरी सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत दुबे थे. कार्यक्रम की शुरुआत संस्था के अध्यक्ष सतीश कुमार त्रिपाठी ने अपनी पत्नी सहित दीप प्रज्वलन और मां शारदा के चित्र पर माल्यार्पण कर की. इसके बाद उन्होंने उपस्थित विद्वानों, अतिथियों, कवियों और साहित्यकारों का स्वागत करते हुए संस्था की अब तक की यात्रा और भविष्य की दिशा साझा की. संस्था के संयोजक ज्वाला सिंह ने संस्था द्वारा किये जा रहे कार्यों की विस्तृत जानकारी दी. संस्था के प्रधान संरक्षक सुरेश कुमार, अस्वस्थ होने के बावजूद कार्यक्रम में शामिल हुए और सभी को आशीर्वाद देते हुए उत्साहवर्धन किया. इस मौके पर भोजपुरी के दिवंगत साहित्यकार अरुणेश नीरन, तैय्यब हुसैन पीड़ित और देवेश जी को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी.

अंजन सम्मान से रंगकर्मी डॉ महेंद्र प्रसाद सिंह सम्मानित

कार्यक्रम में प्रसिद्ध रंगकर्मी डॉ महेंद्र प्रसाद सिंह को ””अंजन सम्मान”” से नवाजा गया. उन्हें सम्मान पत्र, अंग वस्त्र और नकद प्रदान कर सम्मानित किया गया. मुख्य अतिथि अजीत दुबे ने अपने संबोधन में कहा कि, “भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए सिर्फ दिल्ली या पटना से नहीं, बल्कि गांव-गांव से आवाज उठनी चाहिए. ” उन्होंने अब तक भोजपुरी के लिए किये गये सरकारी प्रयासों और लंबित मांगों की भी विस्तार से चर्चा की. अध्यक्ष सतीश त्रिपाठी ने कहा कि संस्था भोजपुरी भाषा, संस्कृति, लोकाचार और साहित्य के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए तन, मन, धन से लगातार काम करती रहेगी. इस अवसर पर पी. राज सिंह, हरेराम पाठक, मनंद कुमार तिवारी, ‘सिरिजन’ के उप संपादक तारकेश्वर राय, अनूप पांडेय सहित अन्य वक्ताओं ने भी विचार रखे. कार्यक्रम का संचालन संस्था के उपाध्यक्ष सुभाष पांडेय ने किया. दूसरे सत्र में आगंतुकों का सम्मान और कवि सम्मेलन हुआ, जिसका संचालन प्रख्यात कवि मनोज भावुक ने किया. कवि सम्मेलन में जेपी द्विवेदी, केशव मोहन पांडेय, राकेश कुमार श्रीवास्तव, जलज कुमार अनुपम, गीता द्विवेदी, वंदना दुबे, हृदयानंद विशाल, उमेश चौबे, नूरेन अंसारी, लोकनाथ तिवारी, अनिल अकेला, कुंदन सिंह, दीपक सिंह लक्ष्मण योद्धा, गणेश नाथ तिवारी और लाखन सिंह जैसे कवियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया. कार्यक्रम का समापन तारकेश्वर राय के धन्यवाद ज्ञापन और भोजपुरी के प्रति श्रद्धा और संकल्प के साथ हुआ.

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